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"मारा-हत्या की धमकी दी": बीफ के शक में बुजुर्ग को पीटा, 3 आरोपियों को पहले जमानत-फिर हुई रद्द

गिरफ्तार होने के एक दिन से भी कम समय में तीनों आरोपियों को जमानत मिल गई थी, लेकिन अब उनकी जमानत रद्द कर दी गई है.

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भारत
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(क्विंट के रिपोर्ताज में सांप्रदायिक हिंसा को कवर करना एक प्रमुख फोकस एरिया है. ऐसी स्टोरीज में बहुत मेहनत शामिल होती है और अक्सर हमारे पत्रकारों को व्यक्तिगत रूप से जोखिम उठाना होता है. कृपया नफरत को एक्सपोज करते रहने में हमें स्पोर्ट करें.)

(ट्रिगर वार्निंग: स्टोरी में हिंसा के डिटेल्स हैं.)

72 साल के हाजी अशरफ अली सैयद हुसैन उर्फ ​​अशरफ मुन्यार पर महाराष्ट्र में जलगांव से कल्याण जाने वाली ट्रेन में भीड़ ने हमला किया और उसके बाद से वे सदमे में हैं. भीड़ ने उनपर गोमांस ले जाने का आरोप लगाया. 28 अगस्त को हुई इस घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है.

द क्विंट द्वारा देखे गए पूरे वीडियो में, भीड़ अशरफ को घेरे हुई है और कंटेनर में रखे सामान के बारे में बार-बार सवाल कर रही बै. भीड़ कह रही है, "हमारा सावन चल रहा है, *गाली, तुम गोमांस ले जा रहे हो."

भीड़ ने "बजरंग दल को बुलाकर मारने" की भी धमकी दी, जैसा कि वीडियो में सुना जा सकता है.

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यहां तक ​​कि साफ तौर से डरे और असहाय दिख रहे अशरफ विनती करते और समझाने की कोशिश करते दिख रहे हैं, लेकिन भीड़ लगातार उनसे पूछ रही कि मांस किसके लिए है, वह इसे कहां ले जा रह हैं. भीड़ ने उन्हें गालियां दीं और यहां तक ​​कि उनके परिवार की महिलाओं को बलात्कार की धमकी भी दी- यह सब करते हुए वे पूरे घटनाक्रम को रिकॉर्ड करते रहे.

वीडियो में कथित तौर पर दिख रहा है कि भीड़ में से कम से कम चार लोगों ने उन्हें थप्पड़ और मुक्का मारा. अशरफ कहते सुने जा रहे हैं कि वह भैंस का मांस ले जा रहे हैं, गोमांस नहीं. पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया लेकिन तीनों को ही एक दिन के अंदर कोर्ट से जमानत मिल गई.

हालांकि, एनसीपी नेता जीतेंद्र आह्वाड के प्रयासों से आरोपियों की जमानत रद्द कर दी गई है. धारा 302 (किसी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जानबूझकर शब्द बोलना) और धारा 311 (लूट या डकैती, मौत या गंभीर चोट पहुंचाने के प्रयास के साथ) जोड़ी गई है.

'उन्होंने मेरे कपड़े भी फाड़ दिए'

चालीसगांव के रहने वाले अशरफ को मुंबई के एक हॉस्पिटल में भर्ती भी कराया गया था. कुछ घंटों बाद, अफवाहें उड़ीं कि घटना के बाद उन्होंने अपनी जान ले ली. लेकिन धुले के जमीयत उलेमा ने एक बयान दिया कि अशरफ जीवित हैं और लोगों से ऐसी कोई गलत सूचना न फैलाने की गुजारिश की.

अफवाहों को खारिज करने और उन्हें मिले स्पोर्ट के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए अशरफ ने खुद एक वीडियो भी रिकॉर्ड किया.

"खुदा का शुक्र है, मैं ठीक हूं. मैं अपनी कौम के लोगों को धन्यवाद देता हूं जो मेरी फिक्र कर रहे हैं, समर्थन दिखाने के लिए. आपने मेरे लिए जो भी किया, शुक्रिया. कृपया कुछ भी गलत न करें और मैं प्रार्थना करता हूं कि आपके साथ भी कुछ अनहोनी न हो, अल्लाह ने मुझे सुरक्षित रखा है."
हाजी अशरफ एक वीडियो में
गिरफ्तार होने के एक दिन से भी कम समय में तीनों आरोपियों को जमानत मिल गई थी, लेकिन अब उनकी जमानत रद्द कर दी गई है.

हाजी अशरफ ने वीडियो जारी कर उन अफवाहों का खंडन किया कि उनकी मौत हो गई है

(फोटो: द क्विंट द्वारा एक्सेस किए गए वीडियो से स्क्रीनशॉट)

क्विंट के पास वह FIR है जो इस मामले में शनिवार, 31 अगस्त की रात ठाणे पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई थी. शुरू में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की जो भी धाराएं लगाई गई, उनमें से एक को छोड़कर सभी जमानती अपराध थे. धारा 190 गैरकानूनी सभाओं (Unlawful Assemblies) से जुड़े अपराधों से संबंधित है और इसमें जमानत शर्तों के अधीन है.

शायद यही एक वजह है कि आरोपियों को आसानी से जमानत मिल गयी.

BNS की अन्य धाराएं लगी हैं, उनमें शामिल हैं: 189 (2) गैरकानूनी सभा के लिए सजा, 191 (2) दंगे के लिए सजा, 126 (2) गलत तरीके से रोकना, 115 (2) स्वेच्छा से चोट पहुंचाना, 352: शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान, 324 (4) शरारत के लिए सजा और 351 (3) आपराधिक धमकी के लिए सजा.

गिरफ्तार होने के एक दिन से भी कम समय में तीनों आरोपियों को जमानत मिल गई थी, लेकिन अब उनकी जमानत रद्द कर दी गई है.

हाजी अशरफ 31 अगस्त की रात करीब 9 बजे ठाणे पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज करा पाए

(फोटो: द क्विंट द्वारा एक्सेस किया गया)

FIR में, अशरफ ने बताया कि वह 28 अगस्त को सुबह 8 बजे कल्याण में रहने वाली अपनी बेटी के घर जाने के लिए निकले और धुले सीएसटी एक्सप्रेस में तीसरे जनरल डिब्बे में बैठे थे.

उन्होंने कहा कि यह सब तब शुरू हुआ जब एक 24-25 साल के लड़के ने उन्हें हटने के लिए कहा ताकि वह खुद बैठ सके. चूंकि वहां मुश्किल से ही जगह थी तो अशरद ने उसे जवाब दिया था कि, "क्या तुम मेरी गोद में बैठोगे? इसपर लड़कों ने उन्हें गुस्से से देखा.

दोपहर 1 बजे, जब वे कल्याण पहुंचे, तो अशरफ ने अपना बैग उठाया और अपना टिफिन निकाला.

FIR के अनुसार उन्होंने कहा, "मैं चालीसगांव से दो टिफिन में भैंस का मांस (बफ) ले जा रहा था. लड़कों ने मुझसे पूछा कि यह कौन सा मांस है. मैंने उन्हें बताया कि यह भैंस का मांस है. उन्होंने मुझे उतरने नहीं दिया और फिर मुझे गाली देना शुरू कर दिया. वे अपने मोबाइल फोन पर सब शूट कर रहे थे."

अशरफ ने बताया, "लड़कों में से जिस एक का चेहरा रुमाल से ढका हुआ था, उसने मुझे मुक्का मारना शुरू कर दिया. आखिरकार मेरे सामने बैठे लड़के ने मेरे चेहरे और आंखों पर मुक्का मारना शुरू कर दिया और मेरे पेट पर लात मारना शुरू कर दिया....उन्होंने मेरे कपड़े भी फाड़ दिए."
गिरफ्तार होने के एक दिन से भी कम समय में तीनों आरोपियों को जमानत मिल गई थी, लेकिन अब उनकी जमानत रद्द कर दी गई है.

हाजी अशरफ

(फोटो: द क्विंट द्वारा एक्सेस किया गया)

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आरोप है कि भीड़ ने जबरदस्ती उसका मोबाइल फोन और कुर्ते की जेब में रखे 2,800 रुपये भी छीन लिए. हाजी अशरफ ने कहा, "उन्होंने मुझे चलती ट्रेन से बाहर फेंकने और जान से मारने की धमकी भी दी."

करीब आधे घंटे बाद अशरफ पुलिस स्टेशन गए लेकिन उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने उस वक्त उसकी शिकायत दर्ज नहीं की.

बाद में, उन्होंने कल्याण में कहीं अपना टिफिन बॉक्स फेंक दिया, अपनी बेटी के घर पहुंचे और फिर इलाज के लिए हॉस्पिटल गए.

पुलिस ने अब तक क्या किया है?

तहसीन पूनावाला मामले में लिंचिंग पर दिए सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के अनुसार, पुलिस को ऐसी सांप्रदायिक घटनाओं की रिपोर्ट करने के लिए एक साइबर सूचना पोर्टल बनाने के अलावा, तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए और आरोपियों को गिरफ्तार करना चाहिए. कार्रवाई न करने पर पुलिस पर कार्रवाई हो सकती है.

गवर्मेंट रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने घटना में शामिल कुछ लोगों की पहचान करते हुए जांच शुरू कर दी है.

ठाणे पुलिस ने भी 31 अगस्त को एक बयान दिया जिसमें उन्होंने कहा कि सहायक पुलिस निरीक्षक गोपाल अशरफ की बेटी के घर गए और उनसे मामले के संबंध में पूछताछ की. उन्होंने कहा कि वे गिरफ्तार लोगों के खिलाफ आगे की कानूनी कार्रवाई कर रहे हैं और सीसीटीवी फुटेज और वायरल वीडियो की जांच कर रहे हैं.

पीटीआई के अनुसार नाम न छापने की शर्त पर एक पुलिस अधिकारी ने बताया, ''हमने वीडियो का संज्ञान लिया है और पीड़ित की पहचान कर ली है. हमले में शामिल कुछ लोगों की पहचान भी कर ली गई है और जांच जारी है.”

गिरफ्तार होने के एक दिन से भी कम समय में तीनों आरोपियों को जमानत मिल गई थी, लेकिन अब उनकी जमानत रद्द कर दी गई है.

ठाणे पुलिस ने घटना पर एक बयान जारी किया

(फोटो: द क्विंट द्वारा एक्सेस किया गया)

वीडियो में एक आरोपी की पहचान आशू अवहाद के रूप में हुई है.

रिपोर्टों और उसके खुद के इंस्टाग्राम बायो के अनुसार, वह एसआरपीएफ (विशेष आरक्षित पुलिस बल) अधिकारी का बेटा है. ये लोग मुंबई में पुलिस परीक्षा देने के लिए यात्रा कर रहे थे.

  • एक आरोपी का इंस्टाग्राम अकाउंट 

    (फोटो- क्विंट)

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एसडीपीआई (सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया) के एक मेंबर सरफराज ने एफआईआर दर्ज करने में अशरफ की सहायता की. मीडिया से बात करते हुए सरफराज ने कहा कि महाराष्ट्र में ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं.

उन्होंने कहा कि आखिर में, ट्रेन में बैठे दूसरे लोगों ने भीड़ से अशरफ को जाने देने के लिए कहा, अन्यथा वे उसे ट्रेन से बाहर फेंक देते.

सरफराज ने कहा, "यह घटना होनी ही नहीं चाहिए थी. हम जानते हैं कि जो लोग हमारे सामने हैं, उनकी मानसिकता ऐसी है कि उन्हें कोई दया नहीं है. हम आरोपों को गैर-जमानती बनाने के लिए इसमें और धाराएं जुड़वाने की कोशिश कर रहे हैं."

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