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मनमोहन सिंह ने बताया- कैसे हासिल होगी 5 ट्रिलियन डॉलर की इकनॉमी

एकता बनाए रखने के लिए सरकार को न्याय, स्वतंत्रता, समानता और विरोधी विचारों को भी सम्मान देने की जरूरत है

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भारत
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देश को 5 ट्रिलियन डॉलर इकनॉमी बनाने के लक्ष्य पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि इस मकसद को हासिल करने के लिए अच्छी तरह से सोची समझी गई रणनीति की जरूरत है.

“मौजूदा वक्त में, हमारी इकनॉमी धीमी पड़ गई है. जीडीपी की ग्रोथ रेट में गिरावट आ रही है. इंवेस्टमेंट रेट स्थिर है, किसान संकट में हैं, बैंकिंग प्रणाली संकट का सामना कर रही है और बेरोजगारी बढ़ रही है. हमें ऐसे में देश को 5 ट्रिलियन इकनॉमी बनाने के लिए एक अच्छी तरह से सोची समझी गई रणनीति की जरूरत है.’’

मनमोहन सिंह ने ये बातें जयपुर के जेके लक्ष्मीपत यूनिवर्सिटी में कहीं. यूनिवर्सिटी की तरफ से डॉ मनमोहन सिंह के लिए सम्मान समारोह का आयोजन किया गया था.

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संविधान के मूल की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए: मनमोहन सिंह

राजस्थान से राज्यसभा के सांसद मनमोहन सिंह ने कहा कि देश को सैद्धांतिक, जानकार और नई सोच रखने वाले नेताओं की जरूरत है, ताकि आने वाले वक्त में लोकतंत्र को मजबूत किया जा सके. उन्होंने कहा कि पॉलिटिकल पार्टियों को संविधान में मौजूद मूल्यों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए. उन्होंने कहा, “देश में एकता बनाए रखने के लिए सरकार को न्याय, स्वतंत्रता, समानता और विरोधी विचारों को भी सम्मान देने वाला माहौल देने की जरूरत है.”

संस्थान संविधान के दायरे में रहकर करें काम: मनमोहन सिंह

2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट, चुनाव आयोग, कैग, सीबीआई, सतर्कता आयोग और चुनाव आयोग जैसे जितने भी खास संस्थान हैं, उनसे उम्मीद है कि वो संविधान के दायरे में रहकर आजादी से काम करें.

उन्होंने कहा, “हमें हमेशा इस लक्ष्य की ओर बढ़ना चाहिए कि देश में अपराध और भ्रष्टाचार में कमी आए, कानून का राज कायम हो, विश्वसनीयता बढ़े और साथ ही विकास का इंजन चलाने के लिए निवेश के लायक माहौल बने.” उन्होंने कहा कि निरंकुश शासन के मुकाबले एक बेहतर लोकतंत्र हमेशा फायदेमंद रहता है.

मनमोहन सिंह ने दिया चीन का उदाहरण

आर्थिक विकास को लेकर मनमोहन सिंह ने चीन का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि ऐसे देशों में नागरिकों से कहा जाता है कि वो खास तौर पर आर्थिक वृद्धि पर फोकस करें, जिससे ऐसा माहौल बनता है कि निजी आजादी की कुर्बानी को सही ठहराया जा सके. उन्होंने कहा, "इससे ये सरकारें राजनीतिक रूप से मुश्किल लेकिन इकनॉमी को बढ़ाने के लिए बेहद जरूरी पॉलिसी को लागू कर पाईं. हालांकि, समय के साथ जैसे-जैसे इनकम बढ़ी, समाज की अपेक्षाएं बदलती गईं और फिर लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए कोशिशें होने लगी." सिंह ने कहा कि लंबे समय में देखा जाए तो आजादी खोना कोई छोटी कीमत अदा करना नहीं है.

मनमोहन सिंह ने लिबरल डेमोक्रेसी के मायने समझाएं

लिबरल डेमोक्रेसी का जिक्र करते हुए पूर्व पीएम ने कहा कि ये एक अच्छे शासन का मॉडल है जिसमें आजादी, समानता की कोशिश, ताकत का बंटवारा, विचार-विमर्श, समय-समय पर चुनाव, स्वतंत्र संस्थाएं और कानून का शासन शामिल है. सिंह ने कहा कि 1991 में कांग्रेस सरकार के इकनॉमिक रिफॉर्म्स ने लोगों के जीवन स्तर में सुधार किया था. उन्होंने कहा, "तब से, लाखों लोग गरीबी रेखा से ऊपर आ चुके हैं. उसके बाद आई सरकारों ने कई पॉलिसी लागू की जिससे देश का समावेशी विकास हुआ. इसमें MGNREGA के तहत काम मिलना और हेल्थकेयर और शिक्षा के क्षेत्र किए गए काम शामिल हैं."

उन्होंने कहा कि ज्यादा पर्चेसिंग पावर से इकनॉमी में मांग बढ़ती है जिससे प्राइवेट इन्वेस्टमेंट और सरकारी रेवेन्यू बढ़ता है. इस रेवेन्यू से इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरतें पूरी की जाती हैं और सामाजिक संघर्ष में कमी आती है. सिंह बोले, "इससे साफ होता है कि इन माध्यमों से डेमोक्रेसी इकनॉमिक ग्रोथ बढ़ाती है."

सिंह ने जनसंख्या, सामाजिक अन्याय, सांप्रदायिकता, जातिवाद, धार्मिक कट्टरवाद, भ्रष्टाचार को डेमोक्रेसी के सामने चुनौतियां बताया और कहा कि इनका सामना हमें साक्षरता, शिक्षा, जातिवाद का खात्मा, अच्छा शासन, औरतों और बच्चियों के सशक्तिकरण, आजाद मीडिया और इकनॉमिक ग्रोथ से करना होगा. पूर्व पीएम ने कहा, "भारत में हमेशा से सहनशीलता और अलग-अलग विचारों के लिए सम्मान रहा है. लोग राजनीतिक विपक्ष और 7 दशकों में शांतिपूर्ण ढंग से सत्ता के ट्रांसफर के आदी हैं. राजनीतिक उदारतावाद ही हमारे लिए आगे का रास्ता होना चाहिए."

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