आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर अंतराष्ट्रीय आतंकी घोषित कर दिया गया है. इसे भारत की बड़ी जीत की तरह देखा जा रहा है. अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने के लिए प्रस्ताव यूएनएससी प्रतिबंध कमेटी 1267 में लाया गया था. इससे करीब तीन महीने पहले आतंकी संगठन जैश ने कश्मीर के पुलवामा जिले में आत्मघाती हमला किया था. इससे पहले, चीन बार-बार इस प्रस्ताव पर अड़ंगा लगा देता था, लेकिन उसने बुधवार को मामले में अपनी 'तकनीकी रोक' हटा ली.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने ट्वीट किया, "छोटे, बड़े सभी एक साथ आ गए, मसूद अजहर संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंधित सूची में एक आतंकवादी के रूप में घोषित. सभी के समर्थन के लिए हम आभारी हैं."
इस प्रतिबंध का मतलब है कि अजहर की संपत्तियों को संयुक्त राष्ट्र के देशों द्वारा जब्त किया जाएगा और इन देशों में उसकी यात्रा पर पाबंदी होगी.
भारत सरकार के एक अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘अजहर चीनियों के लिए लगातार परेशानी का सबब बनता जा रहा था’’
मसूद अजहर मामले पर पीएम मोदी ने कहा: बड़ी सफलता
पीएम मोदी ने इसे आतंकवाद के खिलाफ भारत के लंबे संघर्ष की बड़ी सफलता बताया. प्रधानमंत्री ने इसके साथ ही कहा कि ये गर्व का दिन है और इस बात का प्रतीक है कि आज भारत की आवाज दुनिया भर में सुनी जाती है.
चीन कई बार लगा चुका है अड़ंगा
इससे पहले चीन ने मंगलवार को कहा था कि UN अजहर को अंतरराष्ट्रीय अतंकवादी घोषित करने का ये विवादित मुद्दा ‘अच्छी तरह सुलझ' जाएगा. अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस की ओर से जैश सरगना अजहर पर प्रतिबंध लगाने के ताजा प्रस्ताव पर चीन ने मार्च में वीटो लगा दिया था.
2009 में पहली बार रखा गया था प्रस्ताव
इससे पहले जैश ने फरवरी में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए हमले की जिम्मेदारी ली थी. अजहर को अंतरराष्ट्रीय अतंकवादी घोषित करने की ये पिछले 10 साल में चौथी कोशिश थी. सबसे पहले 2009 में भारत ने प्रस्ताव रखा था. फिर 2016 में भारत ने अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के साथ मिलकर संयुक्त राष्ट्र की 1267 कमेटी काउंसिल के सामने दूसरी बार प्रस्ताव रखा. इन्हीं देशों के समर्थन के साथ भारत ने 2017 में तीसरी बार ये प्रस्ताव रखा. इन सभी मौकों पर चीन ने वीटो का इस्तेमाल कर ऐसा होने से रोक दिया था.
इस तरह भारत के चंगुल से छूटा था मसूद अजहर
मसूद अजहर वही आतंकी है, जिसे इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट को हाइजैक करके साल 1999 में आतंकियों ने छुड़ाया था.
दरअसल, 20 साल पहले 24 दिसंबर 1999 को देश थरथरा उठा था. इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट आईसी- 814 जो काठमांडू से नई दिल्ली के लिए आ रही थी, 180 लोगों से सवार यह फ्लाइट हाईजैक कर ली गई. जिसके बाद पूरे देश में हंगामा मच गया. सरकार को इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि आतंकी ऐसी किसी घटना को अंजाम दे सकते हैं.
जैश-ए -मोहम्मद प्रमुख मौलाना मसूद अजहर की रिहाई के बदले भारत सरकार ने सैकड़ों यात्रियों की जान बचाई थी. आतंकियों की कई मांगों को किया गया था खारिज, लेकिन साथियों की रिहाई पर अड़े रहे आतंकियों ने सरकार से ये शर्त किसी भी हालत में पूरी करने की मांग की.
रिहा होकर, 31 जनवरी, 2000 में आतंकी मौलाना मसूद अजहर ने जैश-ए-मोहम्मद नाम के आतंकी संगठन को पाकिस्तान के कराची में बनाया था. ये भी कहा जाता है कि पाकिस्तानी की खुफिया एजेंसी ने ISI ने इस संगठन की खूब मदद की. साल 2003 में खबर आई जैश-ए-मोहम्मद के बंटवारे की, जो कथित तौर पर खुद्दाम-उल-इस्लाम और जमात-उल-फुरकान में बंट गया.
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