मध्य प्रदेश में जल्द ही ‘कलेक्टर’ पद का नाम बदलकर ‘डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेटर' किया जा सकता है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सोमवार को कहा कि ‘कलेक्टर’ पद का नाम ‘डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेटर' होना चाहिए और इस बारे में विचार चल रहा है.
मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार अपने गृह जिले छिन्दवाड़ा के दौरे पर आये कमलनाथ ने संभागीय अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक के दौरान कहा-
‘कलेक्टर पद का नाम अंग्रेजी में अंग्रेजों के जमाने से चला आ रहा है. मैंने लोगों से सुझाव मांगा है कि यह क्यों कलेक्टर होना चाहिए. मैंने जिले के कलेक्टरों से ही कहा है कि उनके पद का नया नाम क्या होना चाहिए? डीसी (डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर) क्या होता है? यह भी मुझे नहीं चाहिए. कलेक्टर पद का नाम ‘डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेटर’ होना चाहिए.’
‘प्रशासनिक अधिकारी को क्यों कहें कलेक्टर?’
इससे पहले, मुख्यमंत्री बनने के बाद वह भोपाल में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी कह चुके हैं कि कलेक्टर पद का नाम ठीक नहीं है. यह अंग्रेजों के समय से चला आ रहा है और आज के जमाने में इस पद के हिसाब से ठीक शब्द नहीं है.
कमलनाथ ने जिले के आला प्रशासनिक अधिकारी को कलेक्टर कहे जाने पर तंज कसते हुए कहा था कि कलेक्टर क्या कलेक्ट (इकट्ठा) करता है, जो उसे कलेक्टर कहा जाए? क्या वह टिकट कलेक्ट करता है या अन्य कुछ चीज कलेक्ट करता है, जो उसे कलेक्टर कहें? इस पद का नाम बदला जाना चाहिए.
जानकारों का मानना है कि देश में ब्रिटिश राज के दौरान भारत के पहले गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स ने साल 1772 में डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर पद की शुरूआत हुई थी. उस दौरान इंडियन सिविल सर्विसेज के सदस्य ही डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर हुआ करते थे, जबकि देश की आजादी के बाद भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी ही डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर बनते हैं.
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