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Panna: एंबुलेंस का डीजल हुआ खत्म, सड़क पर टॉर्च की रोशनी में महिला की डिलिवरी

दो घंटे तक जननी वाहन का इंतजार करते रहे परिजन, नहीं आई तो 108 एंबुलेंस से गर्भवती को अस्पताल लिया गया

Published
भारत
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मध्य प्रदेश में कई इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल बेहाल है. पन्ना जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोलते हुए एक और मामला सामने आया है. प्रसव के लिए महिला को अस्पताल ले जा रही 108 एंबुलेंस का डीजल रास्ते में ही खत्म हो गया और महिला की डिलीवरी रास्ते में ही टॉर्च की रोशनी में कराना पडा. जिस जगह एंबुलेंस का डीजल खत्म हुआ वह सुनसान इलाका था. ऐसे में किसी की मदद भी नहीं मिल सकी. दर्द से तड़प रही महिला की डिलीवरी सड़क पर ही करवानी पड़ी.

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मामला पन्ना जिले के शाहनगर थाना क्षेत्र के गांव ताला बंजारी का है, 24 साल की महिला रेशमा सिंह को अचानक प्रसव पीड़ा होने लगी. जिसके बाद इसकी सूचना उन्होंने आशा कार्यकर्ता सुकरती बाई को दी. फिर जननी एक्सप्रेस को फोन किया गया. लेकिन जननी एक्सप्रेस खराब होने के कारण वो नहीं आ पाई.

घरवाले करीब 2 घंटे तक जननी एक्सप्रेस का इंतजार करते रहे. बाद में जानकारी मिली की उप स्वास्थ्य केंद्र में जो जननी एक्सप्रेस मौजूद है, उसका टायर खराब है और दूसरी पर व्यस्त हैं. 2 घंटे इंतजार करने के बाद 108 एंबुलेंस से रेशमा सिंह को स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाने की कवायद शुरू हुई.

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मदद के लिए कोई नहीं मिला तो टॉर्च रोशनी में हुई डिलीवरी

घरवाले 108 एंबुलेस की मदद से महिला को लेकर अस्पताल जा रहे थे कि बीच रास्ते में ही एंबुलेंस का डीजल खत्म हो गया. इससे घरवाले परेशान हो गए, क्योंकि समस्या यह खड़ी हो गई कि आखिर अब महिला को अस्पताल कैसे पहुंचाया जाए.

आपको बता दें कि जिस जगह पर एंबुलेंस का डीजल खत्म हुआ था, वह सुनसान इलाका था. ऐसे में किसी की मदद भी घरवालों को नहीं मिल सकी. अंत में दर्द से तड़प रही रेशमा की डिलिवरी घरवालों ने सड़क पर ही कराने का फैसला लिया और किसी तरह टॉर्च की रोशनी में महिला की डिलीवरी करवाई गई.

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पहले भी आ चुके ऐसे मामले

संबंधित मामले में पन्ना कलेक्टर से लेकर पन्ना के जिला स्वास्थ्य अधिकारी से भी बात करने की कोशिश की गई, लेकिन किसी ने भी मामले में कोई जवाब नहीं दिया. इससे पहले भी दबोह इलाके में ऐसा ही मामला सामने आया था. जब बुजुर्ग की तबीयत खराब होने पर घरवालों ने 108 एंबुलेस को फोन लगाया, लेकिन एंबुलेस नहीं आई मजबूरन बुजुर्ग के बेटे हरिसिंह हाथ ठेले से पांच किलोमीटर का सफर तय कर अपने बीमार पिता को अस्पताल लेकर पहुंचा था.

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