इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मध्यकालीन और आधुनिक इतिहास विभाग के तहखाने से एक मुगलकालीन बंदूक और तोप के दो गोले मिले हैं, जिन्हें विभागाध्यक्ष ने कुलपति की अनुमति से इतिहास विभाग के संग्रहालय में रखने की योजना बनाई है.
मध्यकालीन और आधुनिक इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर योगेश्वर तिवारी ने बताया कि हमने एक रक्षा विशेषज्ञ को बंदूक दिखाई थी. बनावट के आधार पर उनका अनुमान है कि यह बंदूक मुगलकालीन यानी 15वीं-16वीं सदी की हो सकती है.
बंदूक की लंबाई काफी ज्यादा है. अनुमान है कि इसे कंधे पर रखकर चलाया जाता था. तहखाने से तोप के दो गोले भी मिले हैं. विभाग ने इस बंदूक के बारे में जानने के लिए शोध कराने का निर्णय किया है.
बता दें कि मुगलकालीन बंदूकों की लंबाई काफी ज्यादा होती थी. उनका वजन बहुत ज्यादा होता था.
संग्रहालय में रखी जाएगी बंदूक और तोप के गोले
प्रोफेसर तिवारी ने बताया कि विभाग में कार्यरत कर्मचारी सैयद अली को इस बंदूक के बारे में सालों से जानकारी थी और वह इसकी चर्चा भी करते थे. लेकिन कभी किसी ने उसे गंभीरता से नहीं लिया. उन्होंने कहा-
“जब पिछले साल फरवरी में मेरे विभागाध्यक्ष बनने के बाद जुलाई-अगस्त महीने में अली ने मुझसे इस बंदूक का जिक्र किया. मैंने उनसे बंदूक लाने को कहा, तो वह तुरंत उसे लेकर हाजिर हो गए. भवन की मरम्मत के दौरान वह उसे तहखाने से निकाल लाये थे और उसे सुरक्षित रखा था.’’
तिवारी ने बताया कि इस बंदूक का वजन लगभग 40 किलोग्राम है, जबकि तोप के गोलों का वजन 20-20 किलोग्राम है. हम इतिहास के विद्यार्थियों को स्वतंत्रता संग्राम में इलाहाबाद के शहीदों के योगदान से अवगत कराने के लिए एक गलियारा बना रहे हैं जहां स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े दस्तावेजों को वृहद रूप में प्रदर्शित किया जाएगा.
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