कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी की जमानत याचिका पर 25 जनवरी को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने सुनवाई की. इस दौरान जस्टिस रोहित आर्य ने कहा, "लेकिन आप किसी और की धार्मिक भावनाओं का गलत फायदा क्यों उठाते हैं? आपकी विचारधारा के साथ क्या दिक्कत है? बिजनेस के लिए आप ऐसा कैसे कर सकते हैं?" कोर्ट ने कहा कि 'ऐसे लोगों को बख्शा नहीं जाना चाहिए.'
लाइव लॉ ने इस सुनवाई को रिपोर्ट किया था. ये सुनवाई करीब पंद्रह मिनट ही चली.
इसके बाद जज ने वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा से पूछा कि क्या वो एप्लीकेशन वापस लेना चाहते है या नहीं. लाइवलॉ के मुताबिक, इस पर तन्खा ने कहा, “उन्होंने इस मामले में कोई गुनाह नहीं किया है लॉर्डशिप. जमानत दी जानी चाहिए.”
जज ने जमानत याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.
जबकि फारूकी की जमानत याचिका पर सुनवाई चल रही है, उनके वकीलों ने क्विंट को बताया कि यूपी पुलिस ने मध्य प्रदेश में जेल प्रशासन से कहा है कि 'फारूकी को जमानत मिलने के बाद भी छोड़ा न जाए.'
वकीलों ने बताया, "यूपी पुलिस ने कहा है कि वो मुनव्वर के खिलाफ मई 2020 में कहे गए जोक्स के मामले में गिरफ्तारी के लिए प्रोडक्शन वारंट ले रहे हैं."
तीसरी जमानत याचिका, हाई कोर्ट में पहली
मुनव्वर फारूकी की तरफ से दायर हुईं पहली दो जमानत याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं. ये तीसरी याचिका है और हाई कोर्ट में पहली.
इस याचिका पर 15 जनवरी को सुनवाई होनी थी लेकिन पुलिस ने केस डायरी जमा नहीं की थी, इसलिए मामले को दो हफ्ते बाद के लिए स्थगित कर दिया गया.
फारूकी के वकील अंशुमान श्रीवास्तव ने क्विंट को बताया, "इस बीच हमने जल्दी सुनवाई के लिए एप्लीकेशन डाली थी. इसे मंजूर किया गया और इसलिए 25 जनवरी को मामले की सुनवाई हुई." श्रीवास्तव मध्य प्रदेश के डिप्टी एडवोकेट जनरल रह चुके हैं.
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