मुस्लिमों के खिलाफ नफरती भाषण के विरोध में एक मुस्लिम संगठन ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. जमियत उलेमा-ए-हिंद नाम के संगठन ने अपनी याचिका में कहा कि शिकायतों के बावजूद प्रशासन ने इस तरह की घटनाओं पर कार्रवाई नहीं की.
संगठन के अध्यक्ष सैय्यद महमूद असद मदनी के मुताबिक, "इस तरह के भाषण, दूसरे व्यक्ति के विश्वासों की आलोचना की वैधानिक सीमा से परे जाते हैं. निश्चित तौर पर इनसे धार्मिक असहिष्णुता फैलती है."
याचिका में आगे कहा गया "पैगंबर मोहम्मद का अपमान करना इस्लाम की बुनियाद पर ही हमला करना है. कई ऐसी हिंसक घटनाएं हुई हैं, जिनमें कई जिंदगियां गई हैं. ज्यादातर जान उन लोगों की गई है, जो कमजोर तबके से आते थे, इनमें से ज्यादातर लोग मुस्लिम थे."
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, याचिका को संगठन की तरफ से एम आर शमशाद ने फाइल किया है. उन्होंने कहा कि हमने तब सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है, जब "एक लंबे वक्त" तक हमने प्रशासन से कार्रवाई का इंतजार किया और उन्हें तमाम तरह की उपचारात्मक कार्रवाईयां करने का समय दिया. लेकिन ऐसा लगता है कि प्रशासन यहां कार्रवाई करने से पूरी तरह असफल रहा है.
बता दें पिछले कुछ दिनों से मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ लगातार भाषणबाजी की जा रही है. हरिद्वार में धर्मसंसद नाम के कार्यक्रम में तो मुस्लिमों के ऊपर हिंसा का तक आह्वान किया गया था. मामले में लगातार आलोचनाओं का शिकार हुई उत्तराखंड पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है.
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