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2019 के लोकसभा चुनाव में अहम भूमिका निभाएगा ‘नमो एप’, ये हैं वजह

साल 2019 के आम चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी का ‘नमो ऐप’ तुरुप का इक्का साबित हो सकता है

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भारत
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साल 2019 के आम चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी का 'नमो ऐप' तुरुप का इक्का साबित हो सकता है. हाल ही में कई मंत्रियों ने बीजेपी कार्यकर्ताओं को इस ऐप का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने की सलाह दी थी. अब प्रधानमंत्री मोदी अपने इस ऐप के जरिए बीजेपी सांसदों और विधायकों के कामकाज का ब्योरा लेने में भी जुटे हैं. इस ऐप पर किए जा रहे एक सर्वे में लोगों से उनके सांसदों और विधायकों के कामकाज के बारे में पूछा जा रहा है. लोगों से ये सवाल पूछे जा रहे हैं-

  • क्या आप अपने सांसद के कामकाज से खुश हैं?
  • क्या आप अपने विधायकों के कामकाज से खुश हैं?
  • आपके राज्य के सबसे मशहूर 3 बीजेपी नेता कौन हैं?
  • कौन सी 3 सरकारी पॉलिसी आपके क्षेत्र में सबसे ज्यादा लोकप्रिय है?
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डेटा बेस तैयार करने में बड़ी भूमिका

ये बताया जा रहा है कि सर्व के निष्कर्ष 2019 में सांसदों की किस्मत तय कर सकते हैं. साथ ही ये भी संकेत दिया जा रहा है कि लोगों की राय पर ही मोदी सरकार फैसले लेती है.

इन सबसे अलग ‘नमो ऐप’ से प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी के पास ऐसा डेटा बेस तैयार हो रहा है, जिसका इस्तेमाल बड़े स्तर पर आम चुनाव में किया जा सकता है. प्रचार से लेकर बीजेपी की पॉलिसी और स्कीम को यूजर्स तक पहुंचाने में इस ऐप का बड़ा योगदान होगा.

बता दें कि नमो ऐप को डाउनलोड करने के लिए लोगों से एक टोल फ्री नंबर पर मिस्ड कॉल करने के लिए कहा जाता है, या आप इसे प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं. ऐप का इस्तेमाल करने के लिए नाम, ईमेल, सेक्स और कॉन्टेक्ट नंबर जैसी जानकारी मांगी जाती है. ऐसे में लोगों का डेटाबेस नमो एप के जरिए तैयार हो रहा है.

साल 2019 के आम चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी का ‘नमो ऐप’ तुरुप का इक्का साबित हो सकता है

मिस्ड कॉल के जरिए लोगों से कनेक्ट होने की पहल प्रधानमंत्री मोदी ने साल 2012 में भी की थी. गुजरात में उन्होंने एंटी टोबैको कैंपेन शुरू किया था जिसके बाद उस नंबर पर करीब 1.25 करोड़ मिस्ड कॉल आए थे.

बता दें कि प्रधानमंत्री का ‘नमो ऐप’ डेटा सुरक्षा में खामी के आरोपों का भी सामना कर चुका है. इस एप्लीकेशन पर आरोप लगे थे कि डेटा को बिना यूजर्स की सहमति के एक अमेरिकी कंपनी को बेचा जा रहा है. कंपनी ने अपनी सफाई में कहा था कि वो डेटा को बेचती या किराये पर नहीं देती है. यहां तक की कंपनी के कर्मचारियों की पहुंच भी डेटा तक नहीं है.

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सरकार के 4 साल पूरे होने पर सर्वे

प्रधानमंत्री मोदी और उनकी टीम इस ऐप की अहमियत को समझते हैं. ऐसे में हर अहम तारीख को यूजर्स के लिए कुछ न कुछ खास करने की तैयारी होती है. बीते 26 मई को जब प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल के 4 साल पूरे हुए तो नमो एप पर बकायदा एक सर्वे जारी किया गया.

साल 2019 के आम चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी का ‘नमो ऐप’ तुरुप का इक्का साबित हो सकता है

इस सर्वे में लोगों से हेल्थकेयर, रोजगार, ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली और किसानों पर सरकार की रेटिंग मांगी गई. वैरी पूअर, पुअर, गुड, वैरी गुड, एक्सीलेंट जैसे ऑप्शन दिए गए थे. साफ है कि 5वें साल में एंट्री लेते हुए प्रधानमंत्री, जनता का गुस्सा या प्यार भांप लेना चाहते हैं.

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