एनसीपीसीआर ने बच्चियों से बलात्कार के मामलों में मौत की सजा की पैरवी की है. कठुआ और देश के कुछ दूसरे हिस्सों में बच्चियों के खिलाफ यौन हिंसा की घटनाओं के मद्देनजर नेशनल कमीशन फाॅर प्रोटेक्शन आॅफ चाइल्ड राइट (एनसीपीसीआर) ने ये मामला उठाया है.
एनसीपीसीआर ने ऐसे जघन्य मामलों में मौत की सजा की पैरवी करते हुए कहा कि इसके लिए पॉक्सो कानून में जरूरी संशोधन होना चाहिए. पॉक्सो कानून को लागू करने की निगरानी करने वाली संस्था ने यह भी कहा कि स्पेशल स्टेट के दर्जे वाले जम्मू-कश्मीर में भी पॉक्सो या इस तरह का कोई दूसरा कानून लागू होना चाहिये.
एनसीपीसीआर (पॉक्सो कानून एवं किशोर न्याय कानून) के मेंबर यशवंत जैन ने कहा, ‘’कठुआ मामले और इस तरह की कुछ दूसरी घटनाओं की वजह से ऐसे जघन्य मामलों में मृत्यदंड की मांग फिर से उठ रही है. आयोग इसके पक्ष में है. इसके लिए पॉक्सो कानून में संशोधन करना पड़ेगा.’’
कठुआ की घटना पर उपजे गुस्से के बाद महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से बलात्कार की घटनाओं में मौत की सजा का प्रावधान किया जाएगा. उन्होंने कहा कि पॉक्सो कानून में संशोधन के लिए मंत्रालय प्रस्ताव तैयार कर रहा है.
गौरतलब है कि बाल यौन अपराध विरोधी कानून पॉक्सो के तहत अभी जघन्य मामलों में अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है. कठुआ में 8 साल की बच्ची के साथ बलात्कार और हत्या की भयावह घटना की जांच के लिए एक शख्स ने बीते बुधवार को एनसीपीसीआर को शिकायत भेजी थी.
आयोग ने इसे जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव को भेज दिया. विशेष दर्जे के कारण यह राज्य आयोग के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है.
सरकार को पहले भी हमने इस बारे में बताया था कि हम ऐसे जघन्य मामलों में मौत की सजा के पक्ष में हैं. अगर सरकार आगे हमसे कोई राय मांगती है तो हम फिर से अपनी यही बात रखेंगे. वहीं जम्मू-कश्मीर से सबंधित किसी मामले में संविधान में विशेष प्रावधान के कारण हम सीधे दखल नहीं दे सकते. हमारे पास शिकायत आई थी और हमने इसे राज्य सरकार के पास भेज दिया.यशवंत जैन
जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने राज्य में मासूम बच्चियों के खिलाफ यौन हिंसा के मामलों में मौत की सजा का प्रावधान वाला कानून बनाने का ऐलान किया है. महबूबा के इस बयान का हवाला देते हुए जैन ने कहा, ''हम जम्मू-कश्मीर सरकार से यह गुजारिश करना चाहते हैं कि वह पॉक्सो कानून या इसी में संशोधन के साथ नये कानून को विधानसभा में पारित कराए. राज्य में बच्चों के खिलाफ अपराधों पर लगाम लगाने के लिए कड़े कानून की जरूरत है.''
(-इनपुट भाषा से)
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