देश की किसी भी आपदा में सबसे पहले पहुंचने वाले नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स (NDRF) ने असम, बिहार से लेकर महाराष्ट्र तक में एक बार फिर मोर्चा संभाल लिया है. महाराष्ट्र में महालक्ष्मी एक्सप्रेस ट्रेन में हजार से ज्यादा यात्री फंसे हुए थे. NDRF ने तुरंत एक्शन दिखाते हुए सभी यात्रियों को बाहर निकाल लिया है. मुंबई-कोल्हापुर ट्रेन के सैकड़ों घबराए, भूखे-प्यासे यात्रियों ने मोबाइल से वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर मदद की अपील की थी.
फिलहाल, असम-बिहार के बाढ़ में भी NDRF की टीम डटी हुई है, लोगों को सुरक्षित जगह पर पहुंचाने और राहत-बचाव का काम ये टीम ही देखती है. ऐसे में आइए जानते हैं इस अद्भूत टीम के बारे में कुछ खास बातें.
2006 में हुआ था NDRF का गठन
NDRF का गठन 2006 में किया गया था. NDRF की 12 बटालियनों में हर एक में 1,149 कर्मी हैं और सभी प्रकार की आपदाओं से निपटने में सबसे आगे हैं. हर बटालियन में 45 जवान समेत 18 स्पेशलिस्ट की टीम है. फोर्स के पास कई आपदाओं से निपटने के लिए इंटरनेशनल स्टैंडर्ड के 310 तरह के इंस्ट्रूमेंट्स हैं. आंकड़ों के मुताबिक, अपनी स्थापना से लेकर पिछले साल जून तक NDRF ने 2,095 अभियान चलाए हैं, जिनमें आपदाओं में घिरे 1,14,492 लोगों की जानें बचाई है.
जागरूकता कार्यक्रमों में भी आगे है NDRF
NDRF ने अबतक हजारों सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रम चला चुकी है. जिससे लाखों लोगों को फायदा पहुंचा है. पिछले साल जून तक ये आंकड़ा 51,75,537 था. स्कूल सुरक्षा कार्यक्रम के तहत 1524 कार्यक्रम किए गए, जिसमें 6,44,225 छात्र-छात्राओं ने आपदा आने की स्थिति में इससे निपटने के गुर सीखे.
विदेश में भी ऑपरेशन चला चुकी है NDRF
साल 2011 में जापान सुनामी के वक्त NDRF की एक टीम वहां पहुंची थी. जिसकी लोकल अथॉरिटी, मीडिया और लोगों ने जमकर तारीफ की थी. 2015 में नेपाल भूकंप के वक्त भी NDRF की टीम ने जमकर सहयोग किया था. टीम ने 11 घायलों को निकाला था, साथ ही 133 शवों को बाहर निकाला था.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)