नेपाल ने एक बार फिर सीमा के पास भारत के निर्माण कार्य पर आपत्ति जताई है. भारत की ओर से अपने क्षेत्र में बनाई जा रही सड़क का काम नेपाल प्रशासन की आपत्ति के बाद रोकना पड़ा है. राज्य सड़क निर्माण विभाग (RCD) सीतामढ़ी जिले के सुरसंड ब्लॉक में सीमा के पास सीतामढ़ी-भिट्टमोड़ रोड के सबसे उत्तरी हिस्से की मरम्मत का काम कर रहा था, जो अब रोक दिया गया है.
हिंदुस्तान टाइम्स ने विभाग के एक अधिकारी के हवाले से बताया कि सड़क का निर्माण कुछ दिन पहले ही रुक गया था. नेपाली अधिकारियों ने सीमा के नजदीक सड़क की चौड़ाई को लेकर आपत्ति जताई थी. उन्होंने कहा कि इस मामले को राज्य के गृह विभाग को भेजा गया है.
सीतामढ़ी-भिट्टमोड़ सड़क धार्मिक कारणों से अहम है, क्योंकि ये जनकपुर को सीतामढ़ी से जोड़ती है. जनकपुर, जिसे देवी सीता का जन्मस्थान माना जाता है, वहां 200 साल पुराना एक जानकी मंदिर है.
सशस्त्र सीमा बल के एक अधिकारी ने द टेलीग्राफ को बताया, “नेपाल के अधिकारियों और उसके सशस्त्र पुलिस बल, जो सीमा गार्ड के रूप में काम करते हैं, ने 7 जुलाई को भीट्टमोड़ सीमा पर नेशनल हाइवे 104 की एक ब्रांच के निर्माण के लिए आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि नेशनल हाइवे के लगभग 250 मीटर का एक हिस्सा नो मैन्स लैंड पर अतिक्रमण कर रहा था.”
बिहार के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी आमिर सुब्बानी ने कहा कि सरकार नेपाल के साथ सीमा पर हो रही गतिविधियों को पर नजर रखे हुए है. सुब्बानी ने कहा कि केंद्र सरकार से भी संपर्क में हैं और इसका जल्द से जल्द हल निकालने की कोशिश की जा रही है.
नेपाल के नक्शे के बाद बढ़ा विवाद
इससे पहले, नेपाल ने नो-मैन्स लैंड के पास भारतीय क्षेत्र में पूर्वी चंपारण जिले के ढाका ब्लॉक में लाल बकेया नदी पर किलेबंदी का काम रोक दिया था. वो अब तटबंध के एक हिस्से को हटाने की धमकी दे रहा है. सुब्बानी का कहना है कि पूर्वी चंपारण से संबंधित सीमा विवाद सुलझना अभी बाकी है.
भारत और नेपाल में पिछले कुछ महीनों से तनाव जारी है. मई में नेपाल की संसद ने एक नए राजनीतिक नक्शे को मंजूरी दी थी, जिसमें लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा क्षेत्रों को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया है. भारत ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई थी.
12 जून को सीतामढ़ी में भारत-नेपाल बॉर्डर के पास नेपाली आर्मी की तरफ से हुई गोलीबारी में एक व्यक्ति की मौत भी हो गई थी.
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