UAPA संशोधन बिल 2019 लोकसभा से पास हो गया है. इससे पहले सरकार ने NIA संशोधन बिल 2019 को भी संसद ने पास कर दिया है. विपक्ष का आरोप है कि इन बिलों से सरकार देश को पुलिस स्टेट बनाना चाहती है. इन बिलों का क्यों विरोध हो रहा है....ये समझिए
UAPA संशोधन बिल से क्या बदलेगा?
1. Unlawful activities (prevention) act 1967 में संशोधन से संस्थाओं ही नहीं व्यक्तियों को भी आतंकवादी घोषित किया जा सकेगा. इतना ही नहीं किसी पर शक होने से ही उसे आतंकवादी घोषित किया जा सकेगा. फिलहाल सिर्फ संगठनों को ही आतंकवादी संगठन घोषित किया जा सकता है. खास बात ये होगी कि इसके लिए उस व्यक्ति का किसी आतंकी संगठन से संबंध दिखाना भी जरूरी नहीं होगा. आतंकी का टैग हटवाने के लिए भी कोर्ट के बजाय सरकारी की बनाई रिव्यू कमेटी के पास जाना होगा. बाद में कोर्ट में अपील की जा सकती है.
2. NIA के डीजी भी आतंकवादी घोषित किए गए व्यक्ति या समूह की संपत्तियों की जब्ती करने की मंजूरी दे पाएंगे. अभी तक जिस राज्य में प्रॉपर्टी होती थी, वहां के डीजीपी की मंजूरी से ही संपत्तियों की जब्ती हो सकती है.
3. NIA का इंस्पेक्टर रैंक का अधिकारी भी आतंकवादी गतिविधियों की जांच कर पाएगा. अभी तक सिर्फ डीएसपी और असिस्टेंट कमिश्नर या उससे ऊपर रैंक के अधिकारी को ही ऐसी जांच का अधिकार है.
UAPA संशोधन बिल पर क्या विवाद है?
विपक्ष का ये कहना है कि नागरिकों को आरोप लगने पर अपने बचाव का मौका मिलना चाहिए, उसे सीधे आतंकवादी घोषित कर देना मूल अधिकारों का हनन होगा. ऐसे में नए UAPA का दुरुपयोग हो सकता है. UAPA के मामलों में अग्रिम जमानत नहीं मिलती है. पहली नजर में आरोप सही लगने पर जमानत भी नहीं मिलती. बिना चार्जशीट के आरोपी को लंबे समय तक कस्टडी में रखा जा सकता है.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक UAPA के 67% मामलों में आरोप सिद्ध नहीं हो पाया और आरोपी को रिहा कर दिया गया. इस एक्ट के तहत नक्सली संगठनों के सदस्य होने के आरोप में लोगों की गिरफ्तारी की काफी आलोचना हो चुकी है.
NIA संशोधन बिल 2019 से क्या बदलेगा?
1. NIA को अब मानव तस्करी, नकली नोट और हथियारों के अवैध निर्माण और बिक्री, साइबर आतंकवाद के मामलों की जांच करने का भी अधिकार.
2.NIA को भारत के बाहर भी भारत या इसके नागरिकों के खिलाफ किए गए अपराधों की जांच का अधिकार. अभी तक एजेंसी सिर्फ देश में ही जांच कर सकती थी.
3. अब तक NIA मामलों की सुनवाई के लिए केंद्र को स्पेशल कोर्ट बनाने का अधिकार था, अब सरकार सेशन कोर्ट को भी इन मामलों की सुनवाई के लिए स्पेशल कोर्ट का दर्जा दे सकती है
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