निर्भया गैंगरेप मामले के चौथे दोषी पवन गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर कर दी है. पवन गुप्ता के पास अभी क्यूरेटिव पिटीशन के अलावा दया याचिका का भी विकल्प बाकी है. वहीं बाकी तीनों दोषियों ने अपने सारे विकल्पों का इस्तेमाल कर लिया है. बता दें कि निर्भया के चारों दोषियों को 3 मार्च को फांसी पर लटकाने के आदेश जारी हुए हैं.
निर्भया के चारों दोषियों के डेथ वारंट तीन बार जारी किए गए. तीसरा डेथ वारंट 17 फरवरी को जारी हुआ, जिसमें कोर्ट ने कहा कि 3 मार्च को सुबह 6 बजे चारों को फांसी पर लटकाया जाएगा. इसके लिए जेल प्रशासन को भी नोटिस जारी किया गया.
केंद्र सरकार की तरफ से निर्भया के चारों दोषियों की अलग-अलग फांसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. जिस पर सुनवाई 5 मार्च तक टाली गई है. इसका सीधा मतलब ये है कि अगर दया याचिका के चलते फांसी टली तो 3 मार्च को एक भी दोषी को फांसी पर नहीं लटकाया जाएगा.
क्या 3 मार्च को होगी फांसी?
अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या वाकई में अब चारों दोषियों को 3 मार्च को ही फांसी पर लटका दिया जाएगा?. लेकिन ऐसा होना अब भी मुश्किल दिख रहा है. फांसी की तारीख नजदीक देखकर दोषी ने अब अपने विकल्पों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. क्यूरेटिव पिटीशन अगर खारिज होती है तो उसका फांसी पर कोई असर नहीं पड़ेगा. लेकिन अगर दोषी पवन गुप्ता ने अपनी दया याचिका दायर कर दी तो फांसी एक बार फिर टल जाएगी. क्योंकि नियमों के मुताबिक दया याचिका खारिज होने के 14 दिन बाद ही दोषी को फांसी पर लटकाया जा सकता है.
साथ ही ये भी नियम है कि चारों दोषियों को एक साथ ही फांसी दी जाएगी. इस हिसाब से देखें तो दया याचिका दायर करने के बाद 3 मार्च को फांसी होना नामुमकिन है.
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