देश की अर्थव्यवस्था की खराब तस्वीर दिखाते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पति परकला प्रभाकर ने द हिंदू में एक कॉलम लिखा है. इस कॉलम में उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार को पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और डॉ. मनमोहन सिंह के आर्थिक मॉडल को अपनाने की सलाह दी है.
इस बीच, सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब सीतारमण से इस कॉलम के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने पिछले पांच साल में मोदी सरकार में लाए गए 'आर्थिक सुधारों' को गिनाया.
प्रभाकर ने अपने कॉलम में तर्क दिया कि मौजूदा सरकार को "राव-सिंह की इकनॉमिक आर्किटेक्चर" से सीख लेनी चाहिए. उन्होंने 1991 में कांग्रेस सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था के उदारीकरण का जिक्र किया, जब राव प्रधानमंत्री थे और मनमोहन सिंह वित्त मंत्री थे.
BJP की आर्थिक नीति: 'नेति-नेति' लेकिन 'नीति' नहीं
प्रभाकर ने अपने कॉलम में लिखा है कि बीजेपी अपनी स्थापना के बाद से खुद से किसी भी आर्थिक ढांचे का प्रस्ताव नहीं ला पाई है, और इसके बजाय पार्टी नेहरूवादी समाजवाद की आलोचना करने में लगी रही.
“गांधीवादी समाजवाद के साथ बीजेपी का तालमेल पार्टी की स्थापना के कुछ महीनों बाद नहीं चल पाया. आर्थिक नीति में, पार्टी ने मुख्य रूप से ‘नेति नेति’ (ये नहीं ये नहीं) को अपनाया, बिना यह बताए कि उसकी अपनी ‘नीति’ क्या थी.”
प्रभाकर ने कहा कि मोदी सरकार के आर्थिक प्रदर्शन ने दोबारा अपनी चुनावी बोली लगाने के लिए इसे 'एक राजनीतिक, राष्ट्रवादी, सुरक्षा मंच' के तौर पर चुना.
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इकनॉमी के लिए ‘राव’ BJP के ‘पटेल’ हो सकते हैं
अपने कॉलम में, प्रभाकर ने यह प्रस्ताव भी रखा कि बीजेपी आर्थिक मोर्चे पर नरसिम्हा राव को आदर्श के तौर पर पेश कर सकती है, जैसा कि उन्होंने राजनीतिक मोर्चे पर सरदार पटेल के लिए किया है.
“बीजेपी ने राव की 1991 के आर्किटेक्चर को न ही चुनौती दी, न ही खारिज किया. अगर अभी भी राव की नीतियों को पूरी तरह से अपनाया जाए, या आक्रामक तरीके से उन्हें लागू करने की कोशिश की जाए, तो बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रही सरकार अर्थव्यवस्था को बुरे दौर से बाहर निकाल सकती है.”
सरकार ने गहरे सुधार किए हैं: सीतारमण
दूसरी और, आर्थिक मोर्चे पर मौजूदा सरकार की साख का बचाव करते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा, "अगर आप गहरे सुधारों की बात करते हैं तो इस सरकार ने ऐसे कई कदम उठाए हैं."
वित्त मंत्री ने जीएसटी, आईबीसी, आधार को सरकारी लाभ योजनाओं से जोड़ने जैसी पहल की लिस्ट गिनाकर अपने तर्क को बढ़ावा दिया. उन्होंने उज्जवला और ग्रामीण इलाकों में बिजली पहुंचाने जैसे कार्यक्रमों का भी हवाला देते हुए कहा कि सरकार ने इन परियोजनाओं के अंतिम वितरण को भी सुनिश्चित किया है. उन्होंने कहा, "अगर इन पहलों की तारीफ की जाए तो यह देश के हित में होगा."
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