भारत ने बुधवार, 15 सितंबर, को पाकिस्तान और इस्लामिक सहयोग संगठन को उनके बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी. इसके साथ ही भारत ने इस्लामाबाद को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) के द्वारा दिये गए मंच को आदतन नई दिल्ली के खिलाफ इस्तेमाल करने के लिए भी आड़े हाथों लिया.
ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहा पाकिस्तान
भारत ने जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 48वें सत्र में अपने "जवाब देने के अधिकार" का प्रयोग करते हुए यह भी कहा कि "परिषद (यूएनएचआरसी), पाकिस्तान सरकार द्वारा इसके कब्जे वाले क्षेत्रों सहित किए जा रहे गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों से परिषद का ध्यान हटाने के प्रयासों से अवगत है.
भारत की प्रतिक्रिया संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाचेलेट के जवाब में आई है, जिन्होंने सोमवार को भारत द्वारा देश भर में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) जैसे कड़े कानूनों के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर में सार्वजनिक सभा और लगातार संचार ब्लैकआउट पर प्रतिबंध लगाने की आलोचना की.
हालांकि बाजेलेट ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का मुकाबला करने और विकास को बढ़ावा देने के लिए भारत के प्रयासों को स्वीकार किया. लेकिन बाचेलेट ने कहा-
इस तरह के प्रतिबंधात्मक उपायों के परिणामस्वरूप मानवाधिकारों का उल्लंघन हो सकता है और आगे तनाव और असंतोष को बढ़ावा मिल सकता है."
भारत ने पहले भी कई मौकों पर जम्मू-कश्मीर से संबंधित संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख की आलोचनाओं को जमीनी स्थिति की अपर्याप्त समझ के आधार पर देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप बताकर खारिज कर दिया है.
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