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नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी,जिन्होंने देश को नोटबंदी से चेताया था

अभिजीत बनर्जी कांग्रेस की न्यूनतम आय योजना (NYAY) के सलाहकारों में शामिल थे 

Published
भारत
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भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी को इस साल अर्थशास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार मिला है. दिल्ली की जवाहर लाल यूनिवर्सिटी से पासआउट अभिजीत बनर्जी अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी में इकनॉमिक्स पढ़ाते हैं.

अभिजीत बनर्जी उन दिग्गज अर्थशास्त्रियों में शुमार थे, जिन्होंने मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले की आलोचना की थी. इसके अलावा अभिजीत बनर्जी लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस की ओर से घोषित NYAY स्कीम के सलाहकारों में भी शामिल थे.

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कांग्रेस की NYAY स्कीम के सलाहकारों में से एक थे अभिजीत

अभिजीत बनर्जी उन लोगों में से एक हैं, जिन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के घोषणापत्र में शामिल NYAY स्कीम की रूपरेखा तैयार की थी.

बनर्जी को नोबेल पुरस्कार मिलने के बाद कांग्रेस ने भी उन्हें बधाई दी है. कांग्रेस ने ट्विटर पर लिखा, 'नोबेल पुरस्कार 2019 जीतने के लिए अभिजीत बनर्जी को बधाई. गरीबी दूर करने के लिए किए गए उनके अविश्वसनीय काम पर देश को गर्व है. प्रख्यात अर्थशास्त्री कांग्रेस पार्टी की न्याय स्कीम के महत्वपूर्ण सलाहकार थे.'

बनर्जी ने किया था नोटबंदी का विरोध

अभिजीत बनर्जी उन प्रमुख अर्थशास्त्रियों में शामिल थे, जिन्होंने मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले का विरोध किया था. मोदी सरकार ने नवंबर 2016 में नोटबंदी का ऐलान किया था. उस वक्त बनर्जी ने कहा था कि नोटबंदी से शुरुआत में जिस नुकसान का अंदाजा लगाया गया था, वो असल में उससे भी ज्यादा होगा.

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की नम्रता काला के साथ संयुक्त तौर पर लिखे गए पेपर में उन्होंने नोटबंदी की आलोचना की थी. संयुक्त रूप से लिखे गए पेपर में उन्होंने कहा था कि इसका सबसे ज्यादा नुकसान असंगठित क्षेत्र को होगा, जहां से कम से कम 85 फीसदी लोगों को रोजगार मिलता है.

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JNU से पासआउट हैं अभिजीत

कोलकाता में जन्मे अभिजीत बनर्जी दिल्ली की जवाहर लाल यूनिवर्सिटी (JNU) से पासआउट हैं. बनर्जी ने साल 1983 में जेएनयू से एमए की पढ़ाई पूरी की थी.

इसके बाद वह विदेश चले गए. साल 1988 में उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी किया.

वैश्विक गरीबी खत्म करने की दिशा में किया काम

अभिजीत बनर्जी को वैश्विक गरीबी खत्म करने की दिशा में काम करने के लिए जाना जाता है. उन्होंने ऐसी आर्थिक नीतियों पर रिसर्च की, जो वैश्विक गरीबी को कम करने में मददगार साबित हुईं.

साल 2003 में उन्होंने एस्तेय डिफ्लो और सेंडहिल मुलैंटन के साथ मिलकर अब्दुल लतीफ जमील पॉवर्टी एक्शन लैब (JPAL) की नींव रखी. साल 2009 में JPAL को डेवलेपमेंट को-ऑपरेशन कैटेगरी में बीबीवीए फाउंडेशन का फ्रंटियर नॉलेज अवॉर्ड मिला.

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