इतिहासकार इरफान हबीब को अलीगढ़ के एक वकील ने नोटिस भेजा है. हबीब को पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर कथित तौर पर 'विवादस्पद' टिप्पणी करने को लेकर नोटिस भेजा गया है. वकील ने आरोप लगाया है कि हबीब ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी और शाह पर गलत बयानबाजी की है.
अलीगढ़ के सिविल कोर्ट के वकील संदीप कुमार गुप्ता ने नोटिस में कहा है कि हबीब का AMU में दिया गया एक भाषण ‘देश की एकता और विविधता के खिलाफ है और संप्रभुता को भी चुनौती देता है.”
गुप्ता ने इरफान हबीब के भाषण को लेकर नोटिस में लिखा, "आपने अमित शाह से 'शाह' शब्द हटाने को कहा है क्योंकि वो एक फारसी शब्द है. आपने कहा कि आरएसएस की स्थापना मुस्लिमों पर हमला करने के लिए की गई थी. आपने देश के विभाजन के लिए सावरकर को दोषी ठहराया है जबकि ये साफ है कि 'दो-देशों की थ्योरी' मोहम्मद अली जिन्ना ने दी थी. आपने स्वच्छता अभियान में गांधी जी के चश्मे के इस्तेमाल पर भी निशाना साधा है."
नोटिस में वकील संदीप गुप्ता ने कहा कि उन्होंने हबीब के ‘घृणास्पद बयानों’ का कुछ अखबारों से संज्ञान लिया है. गुप्ता ने सात दिनों के अंदर इरफान हबीब से जवाब मांगा है और माफी मांगने को कहा है. गुप्ता ने कहा है कि ऐसा न करने पर वो कानूनी कार्रवाई करेंगे.
इरफान हबीब ने क्या कहा था?
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में इरफान हबीब ने एक कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी को कथित तौर पर 'अनपढ़' बताया है. हबीब ने कथित रूप से ये भी कहा कि गृह मंत्री अमित शाह को अपने नाम से 'शाह' शब्द हटा लेना चाहिए क्योंकि ये एक फारसी शब्द है.
हबीब ने पीएम मोदी और शाह पर मुस्लिमों को टारगेट करने का भी आरोप लगाया है. उन्होंने कहा, "मुस्लिमों को दीमक बुलाया जाता है. आप दीमक क्यों कहते हैं, सिर्फ इसलिए कि वो मुस्लिम हैं."
हबीब ने कथित रूप से कहा, "मुझे शक है कि पीएम ने इतिहास पढ़ा है. अगर पढ़ा होता तो वो समझते कि वो कितने अनपढ़ हैं."
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