14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में एकआत्मघाती हमला हुआ जिसमें 40 सीआरपीएफ जवानों की जान चली गई. पूरे देश में त्राहिमाम-त्राहिमाम मच गया. हमले के दोषी जैश-ए-मोहम्मद संगठन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग होने लगी और एक स्वर में इस हमले के लिए पाकिस्तान पर आरोप लगाया गया. इसमें कोई शक नहीं कि पुलवामा अटैक काफी हद तक देश की आंतरिक सुरक्षा की चूक का नतीजा रहा. इंटेलिजेंस टीम अपना काम ठीक से नहीं कर पाई और देश के 40 जवान शहीद हो गए. शहादत यहीं नहीं रुकी, इस आतंकी हमले के बाद से अबतक 11 जवान और शहीद हो गए, लेकिन मीडिया में मुठभेड़, सीजफायर उल्लंघन की खबरें आनी नहीं रुकी.
कश्मीर में पिछले काफी समय से सेना और सुरक्षाकर्मी आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं लेकिन पिछले 2-3 सालों से हालात और भी ज्यादा खराब हैं. उम्मीद थी कि 40 सीआरपीएफ जवानों की शहादत के बाद सरकार और इंटेलिजेंस ब्यूरो जवानों की सुरक्षा के लिए अहम कदम उठाएंगी लेकिन शहादतें अब भी बदस्तूर जारी हैं. एक नजर कि आतंकी हमलों और मुठभेड़ में पुलवामा के बाद कितने जवान शहीद हुए.
18 फरवरी, मेजर समेत 4 जवान शहीद
पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद सुरक्षाबलों ने घाटी में आतंकियों के खिलाफ एक्शन शुरू किया और पुलवामा में हुई मुठभेड़ के दौरान मेजर डीएस डॉन्डियाल, हेडकॉन्स्टेबल सेवराम, सिपाही अजय कुमार, सिपाही हरी सिंह शहीद हो गए. इस मुठभेड़ में तीन आतंकियों को ढेर कर दिया गया.
24 फरवरी, कुलगाम में 2 जवान शहीद
दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले के तूरीगाम में मुठभेड़ में एक डीएसपी समेत दो जवान शहीद हो गए. शहीद डीएसपी का नाम अमन कुमार ठाकुर है और जवान का नाम हवलदार सोमबीर है. उन्हें सिर में गोली लगी थी, जिसके बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. मुठभेड़ में सेना के एक हवलदार भी शहीद हो गए और मेजर समेत दो जवान घायल हो गए. इस मुठभेड़ में तीन आतंकवादी मारे गए.
1 मार्च, 5 जवान शहीद
जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच 60 से ज्यादा घंटों तक मुठभेड़ चली. इस मुठभेड़ में 5 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए हैं जबकि 2 आतंकवादी भी मारे गए. सीआरपीएफ के 3 जवान और जम्मू-कश्मीर पुलिस के दो पुलिसकर्मी आतंक विरोधी अभियान के दौरान आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए.
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