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One Nation One Fertiliser: बिकेगी सिर्फ भारत ब्रांड की खाद,पैकेट पर लिखा होगा PM

One Nation One Fertiliser स्कीम क्या है, इसका विरोध किस आधार पर हो रहा?

Published
भारत
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किसानों को लेकर पीएम मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. देश में उर्वरक/फर्टिलाइजर ब्रांडों में एकरूपता लाने के लिए, सरकार ने एक आदेश जारी कर सभी कंपनियों को अपने उत्पादों को 'भारत' ब्रांड नाम से बेचने का निर्देश दिया है. यानी अब देश की सभी उर्वरक कंपनियों को एक ही नाम से उर्वरक बेचना होगा. उर्वरक बनाने वाली कंपनियों और कांग्रेस ने केंद्र सरकार के इस आदेश का विरोध किया है. आपको बताते हैं कि सरकार के "एक राष्ट्र- एक उर्वरक" (One Nation One Fertiliser) में कंपनियों के लिए क्या निर्देश हैं और इसका विरोध किस आधार पर किया जा रहा है.

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"एक राष्ट्र- एक उर्वरक" की अवधारणा क्या है?

बुधवार को एक ज्ञापन में, केंद्र सरकार ने कहा कि अब सभी उर्वरक भारत ब्रांड के होंगे. देश में वन नेशन वन फर्टिलाइजर की अवधारणा को साकार करते हुए भारत सरकार के उर्वरक मंत्रालय ने सभी कंपनियों को अपने आदेश जारी किए हैं. जिसके तहत सभी उर्वरक कंपनियों को एक ही नाम से उर्वरक बेचना होगा.

सरकार ने आगे कहा, यूरिया, डीएपी, एमओपी और एनपीके आदि के लिए सिंगल ब्रांड नाम क्रमश: भारत यूरिया, भारत डीएपी, भारत एमओपी और भारत एनपीके होगा. साथ ही इन उर्वरक बोरियों पर उर्वरक सब्सिडी योजना अर्थात प्रधान मंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना को दर्शाने वाला एक लोगो इस्तेमाल किया जाएगा.
One Nation One Fertiliser स्कीम क्या है, इसका विरोध किस आधार पर हो रहा?

बता दें कि प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना के तहत केंद्र सरकार उर्वरक पर सालाना सब्सिडी देती है.

आदेश में कहा गया है कि खाद की बोरी के एक तरफ लोगो प्रिंट किया जाएगा. उर्वरक बैग के दो-तिहाई हिस्से का उपयोग PMBJP के साथ नए ब्रांड नाम और लोगो के लिए किया जाएगा और एक तिहाई का उपयोग उर्वरक कंपनी के नाम, लोगो और विभिन्न नियमों और विनियमों में आवश्यक अन्य जानकारी के उपयोग के लिए किया जाएगा.

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आगे कहा गया, उर्वरक कंपनियों को सलाह दी जाती है कि वे कृषि और सहकारिता विभाग द्वारा 1985 के तहत जारी मेट्रोलॉजी एक्ट, पैकेज्ड कमोडिटीज एक्ट और ऑर्डर नंबर 1-2/87-फर्ट लॉ दिनांक 09 नवंबर, 1987 एफसीओ के अंतर्गत अन्य नियमों और शर्तों का पालन करें.

ध्यान रहे कि वन नेशन वन फर्टिलाइजर अवधारणा के तहत नए बैग 2 अक्टूबर से पेश किए जाएंगे, और कंपनियों को बाजार से पुराने डिजाइन किए बैग को निकालने के लिए 31 दिसंबर तक चार महीने का समय दिया जाएगा. उर्वरक कंपनियों को 15 सितंबर से पुराने डिजाइन के बोरे खरीदने की अनुमति नहीं होगी.

सरकार लेकर क्यों आई?

सरकार का मानना है कि यह किसानों के हित में बड़ा कदम साबित होगा क्योंकि इससे किसान अलग-अलग ब्रांड के उर्वरक चुनने के ताम-झाम से दूर होंगे, क्योंकि सभी यूरिया ब्रांड में 46% एन और सभी डीएपी ब्रांड में 18% एन और 46% पी होता है.

सरकार का दावा है कि यह उर्वरकों की इधर-उधर की आवाजाही को रोकने, ढुलाई के समय को कम करने, ब्रांड प्रीफरेंस के बावजूद पूरे वर्ष उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए यूरिया के डायवर्जन को रोकेगा और इस तरह माल ढुलाई की लागत में कमी लाने में मदद करेगा.

विरोध क्यों हो रहा?

वन नेशन वन फर्टिलाइजर के लिए सरकार के आदेश का उर्वरक कंपनियों ने यह कहते हुए विरोध किया है कि यह 'उनके ब्रांड वैल्यू और बाजार में दूसरी उर्वरक कंपनियों की अपेक्षा उनके अलग पहचान को खत्म कर देगा'.

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कांग्रेस ने गुरुवार को सरकार के आदेश की आलोचना की, जिसमें सभी उर्वरक कंपनियों को अपने उत्पाद एक ही ब्रांड नेम से बेचने का निर्देश दिया गया था. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट करते हुए कहा कि "सर्वव्यापी अपने प्रचार के लिए जो कुछ भी करता है, उससे अब हमको आश्चर्य नहीं होना चाहिए. अब सभी उर्वरकों को एक ब्रांड के तहत बेचने का निर्णय लिया गया है और वह भी पीएम-बीजेपी के हिस्से के रूप में. वन नेशन, वन मैन, वन फर्टिलाइजर!"

(इनपुट- आईएएनएस)

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