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अंबानी जैसे करोड़पति महामारी में अमीर हुए, गरीब और गरीब: Oxfam

ऑक्सफेम ने भारत सरकार को न्यूनतम वेतन से संबंधित कुछ सुझाव दिए

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नॉन-प्रॉफिट ग्रुप ऑक्सफेम ने 25 जनवरी को अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि कोरोना वायरस महामारी ने भारत के बिलिनेयर्स और अनस्किल्ड वर्कर्स के बीच आय असमानताओं को बढ़ा दिया है. ऑक्सफेम ने इस रिपोर्ट को स्विट्जरलैंड के दावोस में वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम के सामने पेश किया.

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न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, ऑक्सफेम रिपोर्ट में कहा गया, "भारत के 100 टॉप बिलिनेयर्स की संपत्ति में पिछले साल मार्च से अब तक 12,97,822 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है, जो कि 13.8 करोड़ सबसे गरीब भारतीयों को 94,045 रुपये का चेक देने के लिए काफी है."

NDTV के मुताबिक, ’The Inequality Virus’ नाम की इस रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया कि देश के बिलेनियर्स की संपत्ति लॉकडाउन में करीब 35 फीसदी से बढ़ गई है. रिपोर्ट में कहा गया कि इसी बीच देश के 84 फीसदी घरों में अलग-अलग तरीके से आय का नुकसान हुआ.  

'जितना अंबानी एक सेकंड में कमाते हैं, एक अनस्किल्ड वर्कर को कमाने में लगेंगे 3 साल'

ऑक्सफेम रिपोर्ट में कहा गया कि अप्रैल 2020 में ही 1.7 लाख लोगों ने अपनी नौकरी खो दी थी.

इसी बीच अगस्त 2020 में रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी दुनिया में चौथे सबसे अमीर आदमी घोषित किए गए थे.

ऑक्सफेम ने अपनी रिपोर्ट में कहा:

“देश में बढ़ती असमानता तीखी है... महामारी के दौरान अंबानी ने एक घंटे में जितना कमाया है, उतना कमाने में एक अनस्किल्ड वर्कर को 10,000 साल लग जाएंगे और जितना एक सेकंड में कमाया, उतना कमाने में तीन साल.” 
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रिपोर्ट में कहा गया: "दुनियाभर में बिलेनियर्स की संपत्ति 18 मार्च और 31 दिसंबर 2020 के बीच 3.9 ट्रिलियन डॉलर बढ़ गई. इसी समय ये अनुमान है कि गरीबी में जी रहे कुल लोगों की संख्या 200 से 500 मिलियन बढ़ गई होगी."

NDTV के मुताबिक, ऑक्सफेम ने कहा कि महामारी की शुरुआत से दुनिया के 10 सबसे अमीर लोगों की संपत्ति में जो बढ़ोतरी हुई है, वो 'वायरस की वजह से दुनिया के किसी भी शख्स को गरीब होने से रोकने और सभी लोगों की कोरोना वैक्सीन की लागत देने के लिए' काफी है.

ऑक्सफेम ने भारत सरकार को न्यूनतम वेतन में तुरंत बदलाव और इसमें समय-समय पर बढ़ोतरी के सुझाव दिए हैं.  

ऑक्सफेम ने रिपोर्ट में कहा कि अगर भारत के टॉप 11 बिलेनियर्स पर महामारी में बढ़ी उनकी संपत्ति के लिए 1 फीसदी टैक्स लगाया जाए तो नतीजतन जो पैसा आएगा, वो जन औषधि स्कीम में लगाया जा सकता है. इस स्कीम में अच्छी दवाइयों को किफायती दामों पर उपलब्ध कराया जाता है.

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