पाकिस्तान ने भारत के सीमा पार कारोबार पर रोक लगाने के फैसले को बेबुनियाद बताते हुए उसकी निंदा की है. साथ ही पाकिस्तान ने इस फैसले को एकतरफा भी बताया है. पाकिस्तान ने भारत से अपनी दूरियों को मिटाने के लिए बातचीत करने की बात कही है. बता दें कि 18 अप्रैेल को गृह मंत्रालय ने जानकारी दी की नियंत्रण रेखा के जरिए होने वाले भारत और पाक के बीच सीमा पार कारोबार को अस्थायी रूप से बंद कर दिया जाएगा.
पाकिस्तान विदेश मंत्रालय कि ओर से जारी एक बयान में कहा गया, ‘‘पाकिस्तान, भारत कि ओर से एलओसी पर कारोबार बंद करने के एकतरफा फैसले की निंदा करता है और इस रास्ते के गलत इस्तेमाल करने के आरोपों का भी खंडन करता है. भारत बेबुनियाद आरोप लगा रहा है कि इस रास्ते का इस्तेमाल स्मगलिंग, ड्रग्स, फेक करेंसी और आतंकवाद के लिए होता है. हम भारत से कहना चाहते हैं कि वो ऐसे एकतरफा फैसले न ले और बातचीत कर दूरियों को खत्म करे ताकि दोनों देश संघर्ष से मेलजोल की तरफ जा सके.’’
18 अप्रैल को भारत ने लिया था कारोबार बंद करने का फैसला
भारत ने पाकिस्तान के साथ गुरुवार, 18 अप्रैल को एलओसी के जरिए होने वाले व्यापार पर रोक लगाने का ऐलान किया था. गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि नियंत्रण रेखा के जरिए व्यापार मार्ग को देश विरोधी तत्व इस्तेमाल कर रहे हैं और इसके जरिए हवाला, ड्रग्स और हथियारों की आपूर्ति की जा रही है.
गृह मंत्रालय ने रोक लगाने की वजह ये बताई कि एलओसी से पाकिस्तान, भारत में हथियार, नकली करेंसी और ड्रग्स भेजे जा रहे हैं और ऐसा करके पाकिस्तान ने इस रूट का गलत फायदा उठाया है.
हफ्ते में चार बार होता है कारोबार
भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार के लिए एलओसी का रास्ता हफ्ते में चार बार खोला जाता है. इस रास्ते के जरिए दोनों देशों के बीच रोजमर्रा के इस्तेमाल की चीजों की अदला बदली की जाती है. यहां बार्टर सिस्टम के हिसाब से व्यापार होता है और इंपोर्ट-एक्सपोर्ट पर कोई ड्यूटी नहीं लगती.
हालांकि, गृह मंत्रालय को ये जानकारी मिली कि इस रास्ते का फायदा दूसरे देश भी उठा रहे थे. इस रास्ते के जरिए हवाला का पैसा और बाकी का सामान अवैध तरीके से भारत में पहुंचाया जा रहा था.
भारत, पाक से वापस ले चुका है MFN का दर्जा
फरवरी महीने में हुए पुलवामा हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से MFN यानी के मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा वापस ले चुका है. गृह मंत्रालय ने इस बात को भी जाहिर किया कि अगर ये कार्रवाई नहीं की होती तो इस रास्ते का और ज्यादा गलत फायदा उठाया जा सकता था.
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