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क्या कश्मीर पर यूएन की मानवाधिकार रिपोर्ट में पाकिस्तानी हाथ था?

मानवाधिकार रिपोर्ट में कश्मीर में भारत के रवैये की आलोचना थी 

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पाकिस्तान में रहने वाले एक शख्स ने माना है कि कश्मीर पर यूएन की मानवाधिकार रिपोर्ट तैयार करते वक्त यूएन के मानवाधिकार आयुक्त जैद राद अल हुसैन लगातार उसके संपर्क में रहे.

कनाडा में रहने वाले जफर बंगश नाम के इस शख्स ने मिसिसाउगा में कश्मीर पर आयोजित कांफ्रेंस में कहा, मैं आपको बता सकता हूं और मैं पूरी विनम्रता और गर्व के साथ कहना चाहना चाहता हूं कि इस रिपोर्ट के तैयार करते वक्त ‘फ्रेंड्स ऑफ कश्मीर’ की भूमिका थी.

मानवाधिकार रिपोर्ट में कश्मीर में भारत के रवैये की आलोचना थी 
कश्मीर की सड़कों पर सुरक्षा बलों को  पत्थरबाजों से जूझने में काफी मुश्किल आती है
फोटो : द क्विंट 
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यूएन ह्यूमन राइट्स कमिश्नर से ई-मेल पर बात हुई

बंगश ने कहा, ह्यूमन राइट्स हाई कमिश्नर से मैंने निजी तौर पर ई-मेल पर चर्चा की थी. उन्होंने मेरी निजी ई-मेल का जवाब दिया था और कहा था वह लाइन ऑफ कंट्रोल के दोनों ओर पहुंच बनाना चाहेंगे. कहने का मतलब दोनों कश्मीर (पाक अधिकृत समेत) तक वो पहुंच कायम करना चाहते थे.

बंगश ने कहा पाकिस्तान मे फॉरेन ऑफिस के प्रवक्ता से बातचीत के बाद उसने जैद राद अल हुसैन से बातचीत की थी. टोरंटो में कॉन्स्युलर जनरल नफीस जकारिया ने आश्वस्त किया था कि पाकिस्तान यूएन के हाई कमिश्नर और पाकिस्तान में उनके प्रतिनिधियों का स्वागत करेगा. वे पाक अधिकृत कश्मीर की उनकी यात्रा में मदद करेंगे.

यूएन रिपोर्ट में मानवाधिकार उल्लंघन की बात थी

14 जून को यूएन की कश्मीर पर पहली ह्यमून राइट्स रिपोर्ट में कहा गया गया था सुरक्षा भारत के हिस्से वाले कश्मीर और पाक अधिकृत कश्मीर दोनों जगह सुरक्षा बल मानवाधिकार का जबरदस्त उल्लंघन कर रहे हैं. रिपोर्ट में पाक अधिकृत कश्मीर में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर लगाम लगाने के लिए एंटी टेरर कानून के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग की थी. रिपोर्ट में भारत में भी सुरक्षा बलों की ज्यादतियों को रोकने की मांग की गई है.

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