पेगासस (Pegasus) जासूसी मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) 27 अक्टूबर को आदेश पारित सकता है. कोर्ट मामले की जांच के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी के गठन का ऐलान कर सकता है.
CJI ने दिए थे एक्सपर्ट कमेटी के गठन के संकेत
चीफ जस्टिस रमना की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है. इससे पहले 23 सितंबर चीफ जस्टिस रमना ने मौखिक तौर पर यह संकेत दिया था कि कोर्ट मामले में एक्सपर्ट कमिटी का गठन कर सकती है. उन्होंने वरिष्ठ वकील चंद्र उदय सिंह से यह बात कही थी.
चीफ जस्टिस ने उस वक्त कहा था कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में एक सप्ताह के भीतर आदेश पारित करना चाहता है, लेकिन शीर्ष अदालत जिन सदस्यों को एक्पसर्ट कमिटी में शामिल करना चाहती है, उनमें से कुछ ने निजी कारणों का हवाला देते हुए कमिटी में शामिल होने से मना कर दिया है. जस्टिस रमना ने उस वक्त कहा था कि कमिटी के सदस्यों को जल्द ही फाइनल कर लिया जाएगा.
केंद्र ने दिया था एक्सपर्ट पैनल के गठन का प्रस्ताव
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में पेगासस केस की जांच की मांग को लेकर याचिका दायर की गई थी. केंद्र ने पहले ही जासूसी के आरोपों की जांच के लिए एक एक्सपर्ट पैनल के गठन का प्रस्ताव दिया था, जिसमें स्वतंत्र सदस्यों को शामिल करने को कहा गया था.
केंद्र ने कहा था कि एक्सपर्ट कमेटी अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंप सकती है. कथित जासूसी की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली याचिकाओं के एक बैच के जवाब में, 13 सितंबर को, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वो अब एक विस्तृत हलफनामा दायर नहीं करना चाहता है, जिसमें स्पष्ट किया जाना है कि पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया गया था या नहीं.
क्या था मामला?
जुलाई में प्रकाशित एक रिपोर्ट में दुनियाभर के ऐक्टिविस्ट्स, नेताओं और पत्रकारों की जासूसी का खुलासा हुआ था. इस रिपोर्ट को फॉरबिडेन स्टोरीज और एमनेस्टी इंटरनैशनल ने मिलकर तैयार किया था.
भारत के भी कई बड़े पत्रकारों, नेताओं और ऐक्टिविस्ट्स की जासूसी स्पाइवेयर के जरिए किए जाने का दावा इस रिपोर्ट में किया गया था.
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