पेगासस जासूसी मामले (Pegasus Snoopgate) में अब सामने आया है कि जासूसी की संभावित टारगेट लिस्ट में टॉप ईडी अधिकारी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के करीबी सहयोगी का भी नाम शामिल था. इतना ही नहीं, इस लिस्ट में पीएमओ और नीति आयोग के कम से कम एक अधिकारी का नंबर शामिल था.
द वायर की नयी रिपोर्ट के मुताबिक, कई हाई प्रोफाइल जांच करने वाले वरिष्ठ ईडी अधिकारी, राजेश्वर सिंह का नाम संभावित टारगेट लिस्ट में शामिल था. लिस्ट में सिंह के दो नंबरों के अलावा, उनके परिवार की तीन महिलाओं के चार नंबर भी शामिल थे, जो इशारा करता है कि वो भी संभावित टारगेट थे.
उत्तर प्रदेश के PPS अधिकारी, सिंह 2009 से ईडी के साथ हैं. इस दौरान वो 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले और एयरसेल-मैक्सिस मामले जैसे कई संवेदनशील मामलों की जांच का हिस्सा रहे हैं. वो सहारा समूह और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन रेड्डी की आय से अधिक संपत्ति मामले की जांच में भी शामिल रहे हैं.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पर्सनल असिस्टेंट रह चुके पूर्व आईएएस अधिकारी, वीके जैन का नंबर भी पर्सन ऑफ इंट्रेस्ट के तौर पर मार्क किया गया था.
जैन का नंबर, 2018 में लीक हुए रिकॉर्ड में दिखाई दिया, जब वो शिक्षा और स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर सहित राज्य सरकार की कुछ महत्वपूर्ण फाइलों को संभाल रहे थे.
रिपोर्ट के मुताबिक, लीक हुए डेटा में पीएमओ और नीति आयोग के कम से कम एक-एक अधिकारियों के नंबर की भी जानकारी थी. रिपोर्ट के मुताबिक, नीति आयोग के अधिकारी केंद्र सरकार के नीति थिंक-टैंक के एक वरिष्ठ कर्मचारी थे, जबकि पीएमओ अधिकारी वर्तमान में प्रधानमंत्री कार्यालय में एक अंडर सेक्रेटरी हैं.
क्या है पेगासस जासूसी मामला?
इजरायली कंपनी NSO ग्रुप के पेगासस स्पाइवेयर से दुनियाभर के 10 देशों में करीब 50,000 नंबरों को संभावित सर्विलांस या जासूसी का टारगेट बनाया गया. लीक हुए डेटाबेस में 300 भारतीय फोन नंबर हैं.
जांच में सामने आया है कि भारत में करीब 40 पत्रकारों पर जासूसी की गई. संभावित टारगेट लिस्ट में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर, कैबिनेट मंत्री अश्विनी वैष्णव और प्रह्लाद सिंह का नाम भी शामिल था. पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर सेक्सुअल हैरेसमेंट का आरोप लगाने वाली महिला और उसके रिश्तेदारों का नंबर भी लिस्ट में शामिल था. BSF के दो अधिकारी, RAW के एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी और भारतीय सेना के कम से कम दो अफसरों को संभावित सर्विलांस का टारगेट चुना गया था.
पेरिस स्थित नॉनप्रॉफिट मीडिया फॉरबिडन स्टोरीज और एमनेस्टी इंटरनेशनल के पास लीक हुए नंबरों की लिस्ट थी, जिसे बाद में उन्होंने द वाशिंगटन पोस्ट, द गार्जियन, ले मोंडे और द वायर समेत दुनियाभर के करीब 16 मीडिया संस्थानों के साथ शेयर किया, जिसके बाद इस मामले की जांच शुरू हुई. इस जांच को 'पेगासस प्रोजेक्ट' नाम दिया गया है.
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