तमिलनाडु के सांसद डॉ टी थिरुमावलवन ने 14 अगस्त को भारत के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल को पत्र लिखकर गृह सचिव अजय भल्ला, पूर्व गृह सचिव राजीव गौबा और NSO ग्रुप के डायरेक्टरों के खिलाफ पेगासस (Pegasus) कांड में आपराधिक अवमानना की कानूनी कार्यवाही शुरू करने के लिए उनकी सहमति मांगी है.
सांसद ने पेगासस स्पाइवेयर की मदद से सुप्रीम कोर्ट के जज और तीन अन्य कर्मचारियों के कथित 'मिलिट्री ग्रेड सर्विलांस" के लिए इस कानूनी कार्यवाही को शुरू करने की मांग की है.
लेटर में सांसद डॉ टी थिरुमावलवन ने लिखा है कि,
"कुछ कथित हैकिंग और सर्विलांस वर्तमान गृह सचिव अजय भल्ला के कार्यकाल के दौरान हुई है और कुछ तत्कालीन गृह सचिव (जो अब कैबिनेट सचिव हैं) राजीव गौबा के कार्यकाल में हुई है. इसलिए यह प्रस्तावित है कि भल्ला और गौबा,दोनों को प्रस्तावित अवमानना याचिका में शामिल किया जाए और इसके लिए आपकी सहमति मांगी गई है"
क्या है न्यायालय की अवमानना से जुड़े केस की कानूनी प्रक्रिया
न्यायालय की अवमानना एक्ट,1971 के सेक्शन 15 के अनुसार न्यायालय की अवमानना के मामले में सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट खुद से केस शुरू कर सकता है या-
भारत के अटॉर्नी जनरल खुद केस सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के सामने ले जाये
भारत के अटॉर्नी जनरल की सहमति से कोई तीसरा व्यक्ति मामला सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के सामने ले जाये
क्या है पूरा मामला ?
यह जासूसी विवाद एक मीडिया रिपोर्ट के सामने आने के बाद शुरू हुआ था. पेगासस प्रोजेक्ट नामक इस खुलासे में दावा किया गया कि कई भारतीय पत्रकारों, सुप्रीम कोर्ट के सीटिंग जज, नेताओं और अधिकारियों के फोन टैप किए गए. इसके साथ-साथ इनकी टाइमिंग को लेकर भी खुलासा हुआ.
हालांकि पूरे मुद्दे पर सरकार का स्टैंड रहा कि जासूसी के आरोप बिना आधार के हैं और भारत के लोकतंत्र को कमजोर करने का प्रयास है. इसके साथ-साथ यह मामला सुप्रीम कोर्ट में CJI एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाली और जस्टिस विनीत सरना और सूर्यकांत की बेंच के सामने चल चल रहा है, जिसे बेंच ने 16 अगस्त तक के लिए टाल दिया है.
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