ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका या फाइजर वैक्सीन के दो डोज कोरोना वायरस के B1.617.2 वैरिएंट के खिलाफ 80 फीसदी तक कारगर हैं. यह वायरस पहली बार भारत में खोजा गया था. वैक्सीन की कार्यकुशलता का खुलासा ब्रिटेन के एक सरकारी अध्ययन में हुआ है.
बता दें भारत में सीरम इंस्टीट्यूट कोविशील्ड नाम से एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन बना रहा है. इस अध्ययन में हुए खुलासे के लिए पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड के आंकड़ों को आधार बनाया गया है. अध्ययन में यह भी पता चला है कि वैक्सीन के दो डोज से B.117 वैरिएंट के खिलाफ 87 फीसदी सुरक्षा मिलती है.
यह वैरिएंट पहली बार इंग्लैंड के केंट क्षेत्र में खोजा गया था और इसे बड़े पैमाने पर संक्रामक माना जा रहा है.
PHE के इस हफ्ते की शुरुआत में आए आंकड़ों से पता चलता है कि B1.617.2 वैरिएंट के अब तक ब्रिटेन में 3,424 मामले सामने आ चुके हैं. इस बीच इंग्लैंड में PHE अधिकारी यॉर्कशायर इलाके में एक वैरिएंट पर भी नजर बनाए हुए हैं, जिसकी संक्रामक क्षमता बहुत ज्यादा है.
बता दें शनिवार से इंग्लैंड में अब 32 से 33 साल की उम्र के लोगों के लिए वैक्सीन प्रोग्राम को खोलने का ऐलान हो चुका है.
इस बारे में नेशनल हेल्थ सर्विस ने कहा कि वैक्सीनेशन के दायरे को बढ़ाने का फैसला लिया गया है. क्योंकि 10 में से 4 वयस्कों को अब दोनों डोज लगाए जा चुके हैं. एक हफ्ते पहले ही इंग्लैंड में वैक्सीनेशन 34 से 35 की उम्र के लोगों के लिए खोला गया था.
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