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‘देश में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं’: कितना सच है PM मोदी का ये दावा?

पीएम मोदी के दावे का फैक्ट चेक

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दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले रविवार, 22 दिसंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण के साथ बीजेपी के चुनावी अभियान की शुरुआत की. ऐसे समय में जब देशभर में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, पीएम ने अपने भाषण में CAA और नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर (NRC) के बारे में कई बातें कही. प्रधानमंत्री द्वारा अपने भाषण में कही गई बातों पर हमने किया कुछ फैक्ट चेक.

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'भारत में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं है’

अपने भाषण में पीएम मोदी ने कहा, "देश के मुसलमानों को न डिटेंशन सेंटर भेजा जा रहा है, न हिंदुस्तान में कोई डिटेंशन सेंटर है."
हालांकि डिटेंशन सेंटर, यानी हिरासत केंद्र भारत में मौजूद हैं. सितंबर 2019 की एक रिपोर्ट में द क्विंट के त्रिदीप मंडल और अंजना दत्ता ने बताया था कि कैसे सरकार असम में गुवाहाटी से 22 किलोमीटर दूर भारत के सबसे बड़े डिटेंशन सेंटर के निर्माण की प्रक्रिया में है.
असम के गोलपारा जिले के मटिया में स्थित इस डिटेंशन सेंटर में 3,000 बंदियों को रखा जा सकता है. इसके अलावा, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि असम में अभी तक छह डिटेंशन सेंटर मौजूद हैं. देखिए वीडियो:

असम में, डिब्रूगढ़, सिलचर, तेजपुर, जोरहाट, कोकराझार और गोलपारा में डिटेंशन कैंप चलाए जाते हैं. द क्विंट के त्रिदीप मंडल और अंजना दत्ता ने डिटेंशन कैंप के अंदर भेजे गए लोगों की जिंदगी के बारे में रिपोर्ट दी थी. इस रिपोर्ट में उन लोगों के परिवार के सदस्यों को भी दिखाया गया था, जिनकी मृत्यु डिटेंशन सेंटर में हुई थी. यहां देखें पूरी वीडियो:

सितंबर 2019 में, महाराष्ट्र के गृह मंत्रालय ने नवी मुंबई प्लानिंग अथॉरिटी को कथित तौर पर खत लिखकर राज्य के पहले डिटेंशन सेंटर का निर्माण करने के लिए नेरल में तीन एकड़ जमीन की मांग की थी.

पश्चिम बंगाल के प्रशासनिक सुधार मंत्री उज्ज्वल बिस्वास ने नवंबर 2019 में पीटीआई को बताया था कि विभिन्न आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार विदेशी नागरिकों को रखने के लिए राज्य सरकार ने पहले ही कोलकाता के न्यू टाउन इलाके में जमीन के एक टुकड़े को दो डिटेंशन सेंटर के निर्माण के लिए अंतिम रूप दे दिया है.

सरकार के मुताबिक, नवंबर 2019 में 28 लोगों की मौत या तो ऐसे डिटेंशन सेंटर्स में हुई थी, या फिर उन अस्पतालों में, जहां डिटेंशन सेंटर से उन्हें इलाज के लिए रेफर किया गया था. राज्यसभा में एक लिखित सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा था, "जैसा कि असम सरकार द्वारा सूचित किया गया, 22 नवंबर 2019 तक, असम में छह हिरासत केंद्रों में 988 विदेशियों को रखा गया था."

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'मनमोहन सिंह ने कहा बांग्लादेश से सताए हुए अल्पसंख्यकों को नागरिकता दी जाए'

प्रधानमंत्री मोदी ने बांग्लादेश से सताए हुए अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के समर्थन में कथित तौर पर मनमोहन सिंह की टिप्पणी का जिक्र किया था. उन्होंने कहा था, "डॉ मनमोहन सिंह ने संसद में कहा कि हमें बांग्लादेश से सताए हुए अल्पसंख्यकों को नागरिकता देनी चाहिए. जो मनमोहन सिंह ने कहा है, अगर मैं वो करता हूं तो मुझे जिम्मेदार ठहराया जाएगा?"
हालांकि, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने किसी भी देश के सताए हुए अल्पसंख्यक को भारत में नागरिकता देने के लिए एक मौका देने की बात की थी. उन्होंने किसी एक विशेष देश या एक विशेष धर्म के बारे में नहीं कहा था. आप यहां पर इसका फैक्ट चेक पढ़ सकते हैं.

ये भी पढ़ें- हिंदुस्तान में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं है, ये सफेद झूठ है: मोदी

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