- मैं बेचारा गरीब का बेटा हूं, सेवा करने आया हूं
- मैं बचपन में चाय बेचा करता था
- कांग्रेस वाले मुझे 'नालायक' और 'मदारी' कहते रहें, मैं आपकी सेवा में पीछे नहीं हटूंगा
- मैं चाय बेचता था और ये कांग्रेस वाले मुझे 'नीच' कहते हैं
ये अंदाज हैं पीएम नरेंद्र मोदी और शिवराज चौहान के, जिनसे विपक्ष घबराता है, क्योंकि कई बार इनके दम पर दोनों चुनावी हवा का मुंह अपनी तरफ मोड़ चुके हैं. लेकिन मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री अगर विक्टिम कार्ड खेलने वाले कॉलेज के प्रोफेसर हैं, तो पीएम मोदी उस कॉलेज के प्रिंसिपल हैं.
‘हमने दास्तां आपको सुना दी, अब वोट दे दीजिए’ चुनाव जीतने का अमोघ फॉर्मूला सबसे अच्छी तरह किसी ने सीखा है, तो वो हैं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान. अपने ऊपर किए गए शब्दों के वार को हथियार बनाकर विरोधियों पर दे मारने की इस विशुद्ध भारतीय टेक्नोलॉजी में मोदी जी और शिवराज चौहान को पीएचडी हासिल है.
विक्टिम कार्ड टेक्नोलॉजी की खोज किसने की?
वैसे तो ये पता नहीं है कि विक्टिम बनकर सिम्पैथी बटोरने की टेक्नोलॉजी पहले पीएम मोदी ने खोजी या शिवराज चौहान ने. लेकिन वैज्ञानिक प्रमाणों से पता चलता है कि ओरिजिनल फॉर्मूला तो पीएम मोदी के पास ही है. मध्य प्रदेश के सीएम ने तो डिकोड करके अपने इसे काम लायक बना लिया है.
क्या है विक्टिम कार्ड फॉर्मूला
बड़ा सिंपल फॉर्मूला है. अगर कोई आप पर राजनीतिक हमले और आलोचना करे, तो केमिकल फॉर्मूले से आप उसे विक्टिम और सिम्पैथी में बदलकर ढाल बनाइए. फिर बहुत निरीह और बेचारा बनकर विरोधियों पर दे मारिए.... ट्विस्टर की तरह इससे भयंकर सिम्पैथी वेव क्रिएट होंगी, जो जनता में तेजी से फैलेंगी, फिर विपक्षी फिर चाहे जितना सफाई दे, उसके साफ होने की गुंजाइश पूरी है.
कैसे काम करता है विक्टिम कार्ड, आओ इसका पता लगाएं
शिवराज चौहान चौथी बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने की लड़ाई में उतरे हैं. उनके ऊपर किसानों की आत्महत्या, व्यापम घोटाला, ई-टेंडर घोटाले जैसे आरोपों के अलावा मंत्रियों पर घनघोर भ्रष्टाचार के आरोपों से ताबड़तोड़ हमले हो रहे हैं. ऊपर से बीजेपी के अंदर घमासान मचा है, सो अलग.
लेकिन जब हर तरफ अंधेरा दिख रहा था, तभी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इंदौर में शिवराज के कथित घोटालों की लिस्ट बताते-बताते शिवराज के बेटे कार्तिकेय और पनामा पेपर मामले में कनेक्शन जोड़ दिया.
इधर राहुल के मुंह से कार्तिकेय का नाम निकला, उधर शिवराज सिंह चौहान तुरंत जनता के सामने बेचारे बन गए... मैं दिन-रात जनता की सेवा में लगा हूं और कांग्रेस मेरे बेटे के जरिए मुझ पर निशाना साध रही है. मेरा बेटा अभी राजनीति में आया ही नहीं है, बताइए उसको निशाना बनाया जा रहा है.
हालांकि अंदर की वो बात नहीं बताते, जो सबको मालूम है कि उनके पुत्रश्री कार्तिकेय बीजेपी की कई सभाओं में भाषण चिपका चुके हैं और पिताजी के लिए वोट मांग रहे हैं.
पुत्र ने राहुल के खिलाफ मानहानि का दावा भी ठोक दिया. पिताजी ने हर जगह बेचारा होकर यही कहा, मैं तो विपक्ष की निगेटिव राजनीति का विक्टिम हूं जी.
शिवराज के विक्टिम कार्ड
शिवराज सिंह पर जब-जब राजनीतिक संकट आए हैं या उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, तब उन्होंने अंतिम हथियार के रूप में विक्टिम कार्ड खेला है. 2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव में भी यही तरीका खूब असरदार रहा था. तब भी वो भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों से घिरे थे.
- 2008 के चुनाव में जब उन पर डंपर कांड का घेरा बना, तो बोले, “ये सही है कि मेरी पत्नी के पास चार ट्रक हैं….लेकिन क्या मुख्यमंत्री की पत्नी घर चलाने के लिए कारोबार नहीं कर सकती
- चुनाव के दौरान कांग्रेस नेता अजय सिंह ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री के घर नोट गिनने की मशीन है. तब मुख्यमंत्री ने तुरंत उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज करा दिया और फुर्सत हो गए.
- व्यापम कांड में घिरे शिवराज चौहान खुद को विक्टिम की रट लगाते हुए यही कहते हैं कि उन्होंने ही इस कांड से पर्दा उठाया है
फ्लैशबैक गुजरात चुनाव
चुनाव में असरदार तरीके से विक्टिम बनकर सिम्पैथी हासिल करने का सबसे शानदार रिकॉर्ड तो पीएम मोदी का ही है. शिवराज ने तो उनकी किताब से फॉर्मूले उठाए हैं.
आइए फ्लैशबैक में चलते हैं.
2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में प्रचार के उफान के दौरान कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने पीएम मोदी को कह दिया वो नीच आदमी है. खबर वायरल हुई और पीएम मोदी ने फौरन पकड़ी और हर रैली में कहा, भाइयों और बहनों! कांग्रेसी नेता मुझे नीच यानी छोटी जाति का कहते हैं. इमोशन का तूफान बना और नतीजे जब आए, तो कांग्रेस हार की वजह की समीक्षा कर रही थी.
पीएम मोदी ने मौत का सौदागर, चाय बेचने वाला जैसे विपक्षी तानों को विक्टिम कार्ड खेलने में बखूबी इस्तेमाल किया है. वो अक्सर कहते हैं उन्हें अग्नि परीक्षा देने की आदत पड़ गई है. कर्नाटक चुनाव में तो उन्होंने ‘वो नामदार मैं कामदार भी खूब चलाया’.
अखिलेश यादव ने यूपी विधासभा चुनाव के दौरान यही गलती की थी. गुजरात के गिर नेशनल पार्क के विज्ञापन का मजाक उड़ाया, तो फौरन पीएम मोदी ने उसे लपक लिया और रैलियों में बोलने लगे- मैं तो गधा हूं जी, बस देश के लिए दिन रात-काम करता हूं. इसका नतीजा भी वही हुआ कुछ दिन बाद अखिलेश यादव अपनी पार्टी की हार की समीक्षा करते पाए गए.
2019 के लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष की एकजुटता की खबरों के आते ही वो कहते हैं कि सब लोग मेरे खिलाफ इकट्ठा हो रहे हैं.
विपक्षी की आधी ताकत ऐसे ली जाती है
रामायण में राजा बाली का प्रसंग याद करिए. सुग्रीव के भाई बाली को वरदान था कि जो भी उससे मुकाबला करने आएगा, उसकी ताकत आधी उसके पास आ जाएगी. इसलिए उसको कोई हरा नहीं पाता था.
विधानसभा चुनाव में भी शिवराज चौहान को उम्मीद है कि दिग्विजय सिंह या कांग्रेस नेताओं की तरफ से उन्हें इसके लिए मौका जरूर मिलेगा. खासतौर पर वो भाषणों में अक्सर दिग्विजय सिंह को उकसाते भी रहते हैं.
जानकार पहले ही कह चुके हैं कि कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कुछ दिन पहले आरएसएस के अज्ञात नेता के नाम पर पीएम मोदी पर जो हमला किया है, अब इसकी गूंज उन्हें चुनावों में जरूर दिखाई देगी.
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