संसद से नागरिकता संशोधन बिल (CAB) 2019 पास होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि इससे असम के लोगों को चिंतित होने की जरूरत नहीं है.
पीएम मोदी ने 12 दिसंबर की सुबह ट्वीट कर कहा, ''मैं असम के अपने भाइयों-बहनों को भरोसा दिलाना चाहता हूं कि उन्हें CAB के पास होने के बाद चिंता करने की जरूरत नहीं है. मैं उन्हें भरोसा दिलाना चाहता हूं- आपके अधिकारों, विशिष्ट पहचान और खूबसूरत संस्कृति को (आप से) कोई नहीं ले सकता.''
पीएम मोदी ने अपने दूसरे ट्वीट में लिखा है,
‘’क्लॉज 6 के तहत असमी लोगों के राजनीतिक, भाषाई, सांस्कृतिक और जमीन से जुड़े अधिकारों को संवैधानिक तरीके से सुरक्षित करने के लिए मैं और केंद्र सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं.’’पीएम नरेंद्र मोदी
बता दें कि असम के कई हिस्सों में नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ भारी विरोध-प्रदर्शन देखा जा रहा है. माना जा रहा है कि इसके पीछे की मुख्य वजह ये है कि प्रदर्शन करने वालों को डेमोग्राफी बदलने और स्वायत्ता पर खतरे की आशंका है.
क्या है नागरिकता संशोधन बिल?
नागरिकता संशोधन बिल सिटिजनशिप एक्ट, 1955 में संशोधन के लिए लाया गया है. इस एक्ट के तहत कोई भी ऐसा व्यक्ति भारतीय नागरिकता हासिल कर सकता है जो भारत में जन्मा हो या जिसके माता/पिता भारतीय हों या फिर वह एक तय समय के लिए भारत में रहा हो. एक्ट में नागरिकता देने के और भी प्रावधान हैं. हालांकि यह एक्ट अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने से रोकता है.
तय समय तक रहने वाले प्रावधान के तहत सिटिजनशिप एक्ट, 1955 के जरिए ऐसा व्यक्ति भारत की नागरिकता हासिल कर सकता है, जो पिछले 12 महीनों के दौरान भारत में रहा हो, साथ ही पिछले 14 सालों में कम से कम 11 साल भारत में रहा हो. नागरिकता संशोधन बिल 2019, 3 देशों से आए 6 धर्म के लोगों को इस प्रावधान में ढील देने की बात करता है.
इस ढील के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई (इन धर्मों के अवैध प्रवासी तक) के लिए 11 साल वाली शर्त 5 साल कर दी गई है.
हालांकि इस बिल के प्रावधान संविधान की छठी अनुसूची में शामिल असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के आदिवासी इलाकों में लागू नहीं होंगे. इसके अलावा बिल के प्रावधान बंगाल ईस्टर्न रेग्युलेशन्स, 1873 के तहत इनर लाइन के अंदर आने वाले इलाकों पर भी लागू नहीं होंगे.
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