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A-SAT तो सटीक लगी, पर ‘महत्वपूर्ण संदेश’ की मिसाइल का टारगेट फेल?

बुधवार सुबह मोदी ने एक ट्वीट कर बताया - ‘आज सवेरे 11.45 - 12.00 बजे मैं एक महत्वपूर्ण संदेश लेकर आपके बीच आऊंगा’.

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भारत
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बुधवार सुबह मोदी ने एक ट्वीट कर बताया - 'आज सवेरे 11.45 - 12.00 बजे मैं एक महत्वपूर्ण संदेश लेकर आपके बीच आऊंगा'. इस संदेश के आते ही तमाम मीडिया हाउसेस के न्यूज फ्लोर पर हंगामा मच गया. 8 नवंबर 2016 की रात फिर याद आ गई. तब मोदी ने नोटबंदी का एलान किया था. चूंकि किसी को अंदाजा नहीं था कि क्या 'महत्वपूर्ण संदेश' आने वाला है, इसलिए कयासों का दौर शुरू हो गया.

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किसी ने कहा कि दाऊद को लाने का एलान होगा तो कुछ रणबांकुरे युद्ध की बातें तक करने लगे. लेकिन मोदी जी ने जो बात कही वो ये थी- 'हमने अंतरिक्ष में घूमते हुए सैटेलाइट को मार गिराने की क्षमता प्राप्त कर ली है यानी एंटी सैटेलाइट हथियार बना लिया है.' 'महत्वपूर्ण संदेश' का प्रसारण खत्म होते ही प्रतिक्रियाएं आने लगी.

राहुल गांधी का तंज...

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने तंज कसा  - 'अच्छा काम DRDO, आपके इस काम पर हमें काफी गर्व है. मैं पीएम मोदी को वर्ल्ड थिएटर डे की शुभकामनाएं देना चाहता हूं'.

कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने कहा - 'यूपीए की सरकार ने A-SAT प्रोग्राम शुरू किया था, जो आज अंजाम तक पहुंचा. मैं वैज्ञानिकों और डॉ. मनमोहन सिंह की विजनरी लीडरशिप को बधाई देता हूं'

स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव तो एक कदम और आगे निकल गए. यादव ने  7 मई, 2012 को प्रकाशित एक खबर ट्विटर पर शेयर कर दी. खबर की हेडलाइन थी - इंडिया ने अंतरिक्ष में मौजूद सैटेलाइट्स को नष्ट करने की क्षमता हासिल की. खबर की लिंक शेयर करते हुए योगेंद्र ने लिखा - 'ध्यान से देखिए, ये खबर 7 मई, 2012 की है. उस दिन DRDO ने लो ऑर्बिट सैटेलाइट को नष्ट करने की क्षमता की घोषणा की थी. तो आज किस बात का बैंड बजा रहे हैं? वो भी चुनाव के बीचों बीच? राष्ट्र के नाम संदेश देकर. राष्ट्रीय सुरक्षा की ओट में वोट मांगना बंद करो.

तो लग ये रहा है कि ‘मिशन शक्ति’ बड़ी उपलब्धि तो थी लेकिन नई नहीं. फिर क्यों प्रधानमंत्री ने इसका एलान खुद करने का फैसला किया? वो भी आम चुनावों से महज दो हफ्ते पहले. क्यों इस मिशन को कामयाब बनाने वाले वैज्ञानिक सामने नहीं आए? चुनावी माहौल में ये सवाल अहम है. दरअसल जब से कांग्रेस ने गरीबों की न्यूनतम आमदनी 12 हजार तय करने का वादा किया है, अखबारों की सुर्खियां बदल गई हैं. चाय की दुकानों पर लगने वाली चौपालों और टीवी की अनगिनत खिड़कियों से जो आवाज़ें आ रही हैं, उनमें कांग्रेस की इस 'न्याय' योजना की ही चर्चा सुनाई पड़ती है. एक तरह से कह सकते हैं बालाकोट और सर्जिकल स्ट्राइक के बैकड्रॉप में होने जा रहे चुनावों के बीच 'न्याय' आ खड़ा हुआ. उग्र राष्ट्रवाद की हवा बदली और सामाजिक न्याय की चर्चा चल पड़ी. एंटी सैटेलाइट मिसाइल टेस्ट का एलान खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जाना इसी नैरेटिव को बदलने की कोशिश हो सकती है.

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कोई ताज्जुब नहीं कि नई हवा बनती इससे पहले ही पूरा विपक्ष इसकी हवा निकालने में जुट गया. कांग्रेस के अलावा दूसरी विपक्षी पार्टियों ने भी ‘मिशन शक्ति’ पर पीएम के ‘महत्वपूर्ण संदेश’ पर सवाल उठाए. पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने तो इसे आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन बताया है. उनकी पार्टी ने चुनाव आयोग से शिकायत की भी बात कही है.

बीएसपी चीफ मायावती ने कहा कि वैज्ञानिकों को बधाई लेकिन ये बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है कि पीएम ने इस मौके का इस्तेमाल चुनावी फायदा उठाने के लिए किया. उधर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के चीफ राज ठाकरे ने पूछा - ‘प्रधानमंत्री मोदी ने मिशन शक्ति पर देश को क्यों संबोधित किया? काम वैज्ञानिकों ने किया तो क्या देश को इसकी जानकारी देने का मौका उन्हें नहीं देना चाहिए था?'

समाजवादी पार्टी ने कहा कि सरकार बेरोजगारी और महिलाओं की सुरक्षा जैसे असल मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है.

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अरुण जेटली को देना पड़ गया जवाब

विपक्ष की तीखी आलोचना देख वित्त मंत्री अरुण जेटली को जवाब देने लिए आना पड़ा. जेटली ने कहा - ‘विपक्ष को देश के सुरक्षा के मामलों में सीखने की जरूरत है. उन्होंने विपक्ष की आपत्तियों को खारिज करते हुए कहा कि चुनाव हों न हों, देश का न्यूक्लियर प्रोग्राम साल भर चलने वाला प्रोग्राम है. इसे इसलिए नहीं रोका जा सकता कि ये पश्चिम बंगाल की सीएम या किसी और अन्य नेता को सूट नहीं कर रहा.’

प्रधानमंत्री ने खुद मिशन शक्ति की कामयाबी का एलान क्यों किया, सत्तापक्ष, विपक्ष के इन सवालों को मार गिराने की कोशिश कर रहा है लेकिन ये सवाल इतना बताने के लिए काफी हैं कि एंटी सैटेलाइट मिसाइल का निशाना भले ही सटीक रहा हो लेकिन 'महत्वपूर्ण संदेश' की मिसाइल अपने टारगेट से भटक गई.

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