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‘अर्बन नक्सल’ की बहस तेज करने वाला केस कहां तक पहुंचा। पॉडकास्ट

कहां तक पहुंची ‘अर्बन नक्सल’ की बहस तेज करने वाले केस की जांच, बिग स्टोरी पॉडकास्ट में जानिए

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भारत
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पॉडकास्ट एडिटर: फबेहा सय्यद

10 सितंबर को नोएडा में दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर के घर रेड पड़ी. रेड डाली थी महाराष्ट्र से आई पुणे पुलिस ने. रेड की वजह बताई गई 2018 के भीमा कोरेगांव से जुड़ा एल्गार परिषद का मामला. अब ये वही मामला है जिसने देश में अर्बन नक्सल शब्द पर बहस तेज की थी. पुलिस ने IPC के सेक्शन 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र), 121 और 121 ए (यानी सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने का प्रयास) और 124 ए (देशद्रोह) के तहत छापा मारा.
मौके पर कोई गिरफ्तारी तो नहीं हुई लेकिन प्रोफेसर की पत्नी जेनी रोवेना जो मिरांडा हाउस में पढ़ाती हैं, उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा:

आज सुबह 6.30 बजे पुणे पुलिस हमारे घर में घुस गई. उन्होंने कहा कि हेनी बाबू (जो मेरे पति हैं ) जो दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाते हैं, वो भीमा कोरेगांव केस में शामिल हैं, और इसीलिए पुलिस बिना सर्च वारंट के हमारे घर की तलाशी ले सकती है. उन्होंने 6 घंटे तक हमारे घर के तलाशी ली, उन्होंने तीन किताबें, मेरे पति का लैपटॉप, फोन, हार्ड डिस्क्स, और पेन ड्राइव्स जब्त कर ली गई है.

पूरा मामला क्या है?

दरअसल, एल्गार परिषद 31 दिसंबर 2017 को कोरेगांव भीमा की लड़ाई की 200वीं वर्षगांठ मनाने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम था. हजारों लोग इसमें शामिल हुए. जो स्पीकर्स और एक्टिविस्ट्स आये थे उनमें गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी, दलित और आदिवासी एक्टिविस्ट्स राधिका वेमुला, सोनी सोरी, भीम आर्मी के विनय रतन सिंह, स्टूडेंट लीडर उमर खालिद मौजूद थे. इसी मामले में जून 2018 में 5 एक्टिविस्ट गिरफ्तार किए गए. अगस्त, 2018 में चार और गिरफ्तारियां हुईं.

ऐसे में ये पूरा मामला अब तक कहां पहुंचा, क्विंट हिंदी के बिग स्टोरी पॉडकास्ट में जानिए.

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