राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) इन दिनों चर्चा में बने हुए हैं, कभी कांग्रेस का हाथ थामते-थामते रह जाने को लेकर तो कभी बिहार में पद यात्रा का ऐलान करने को लेकर. जहां एक तरफ बीजेपी की ताकत की बात हो रही है, वहीं प्रशांत किशोर ने बीजेपी की कमजोरी को लेकर अपनी बात रखी है.
मंगलवार, 10 मई को इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के कार्यकारी निदेशक अनंत गोयनका के साथ एक ऑनलाइन चर्चा में शामिल हुए पीके ने कांग्रेस की लगातार गिरावट, भारतीय जनता पार्टी और भारतीय राजनीति में उनकी बदलते भूमिका पर खुलकर अपनी बात रखी.
कार्यक्रम में जब प्रशांत किशोर से पूछा गया कि वर्तमान में बीजेपी की सबसे बड़ी कमजोरी क्या है, तो किशोर ने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पार्टी की निर्भरता है.
आइए आपको बताते हैं वो 10 बड़ी बातें जो प्रशांत किशोर ने इंडियन एक्सप्रेस के आ अडडा कार्यक्रम में कही:
विपक्ष को एक साथ जोड़ने के सवाल पर: "मैं किसी को हराने के विचार से प्रेरित नहीं हूं.. जीवन में मेरी प्रेरणा शक्ति सफल होने की इच्छा है, और मैं सफलता को लोगों के जीवन को प्रभावित करने की क्षमता के रूप में परिभाषित करता हूं."
बिहार की राजनीति में उनकी भूमिका पर: "राजनीति में मेरा अगला कदम यह है कि मैं बिहार में स्थिति को कैसे बदल सकता हूं.. मैं कैटालिस्ट हूं. मुझे नहीं पता कि मैं (किसी राजनीतिक दल का) नेता बनूंगा या नहीं. टीम का आना बाकी है."
कांग्रेस की कमियों पर: "कांग्रेस, जो इस देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी है, दशकों से सत्ताधारी पार्टी थी. अब, उन्हें यह सीखने की जरूरत है कि विपक्ष में कैसे रहना है और विपक्षी दल की तरह कैसे व्यवहार करना है."
एक मजबूत, सुसंगत विपक्ष होने पर: "अगर आपके पास एक नैरेटिव है और इसके साथ बने रहते हैं, तो अधिक संभावना नहीं है कि चेहरे सामने आएंगे, शाहीन बाग और किसानों के विरोध को देखें."
बिहार में शराबबंदी पर: "इस बात का कोई सबूत नहीं है कि राज्य के नेतृत्व में शराबबंदी काम करती है, महात्मा राज्य के नेतृत्व वाले शराबबंदी के खिलाफ थे."
चुनाव जीतने पर: "चुनाव जीतने के लिए, आपको 4 Ms - सही मैसेज, विश्वसनीय मैसेंजर, पार्टी मशीनरी और अभियान के यांत्रिकी (Mechanics of the campaign) की आवश्यकता होती है. आखिर में एक (जैसे: कॉफी विद कैप्टन) नेता को जनता तक ले जाना है."
कट्टरपंथीकरण पर: "मतदाता का ध्रुवीकरण एक अति-विचार है. तरीके भले ही बदल गए हों, लेकिन प्रभाव काफी हद तक वही है."
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के राजनीतिक उत्थान पर: "पीएम मोदी की यूएसपी उनकी लगातार विकसित होने की क्षमता है. वह अब भी ऐसा कर रहे हैं. देखिए कि उन्होंने राष्ट्रवाद के एजेंडे के साथ विदेश नीति की अपनी "समझ" को कैसे जोड़ा है. यह मतदाताओं को दिमाग पर असर करती है."
बीजेपी के हिंदुत्व को 'पराजित' करने पर: "आंकड़ों के अनुसार, आधे से भी कम हिंदू बीजेपी को वोट दे रहे हैं. हर हिंदू के लिए जो बीजेपी के हिंदुत्व के नैरेटिव से "प्रभावित" है [और उन्हें वोट दे रहा है], एक हिंदू है जो नहीं दे रहा...आपको उन हिंदुओं से अपील करनी होगी जो बीजेपी के कथन से आश्वस्त नहीं हैं."
आप और कांग्रेस के बीच बीजेपी के लिए सबसे बड़े विपक्षी खतरे पर: "कांग्रेस."
बता दें कि अभी हाल ही में बिहार (Bihar) की राजधानी पटना के ज्ञान भवन में प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने अपनी राजनीतिक रणनीति को लेकर बड़ा ऐलान किया था. प्रशांत किशोर ने कहा था कि मैं बता दूं कि मैं कोई भी राजनीतिक दल नहीं बनाने जा रहा हूं, कोई भी नई पार्टी नहीं बनाने जा रहा. हालांकि उन्होंने लोगों के बीच जाने पद यात्रा करने और फिर लोगों से समझने के बाद राजनीतिक दल बनाने के फैसले पर विचार करने की बात कही थी.
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