शुक्रवार को बजट सत्र की शुरुआत राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण से हुई, इस दौरान राष्ट्रपति ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून बनाकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की इच्छा को पूरा किया गया है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि विरोध के नाम पर किसी भी तरह की हिंसा, समाज और देश को कमजोर करती है.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नागरिकता कानून पर अपनी बात रखते हुए कहा,
विभाजन के बाद बने माहौल में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि- “पाकिस्तान के हिंदू और सिख, जो वहां नहीं रहना चाहते, वे भारत आ सकते हैं. उन्हें सामान्य जीवन मुहैया कराना भारत सरकार का कर्तव्य है.” बापू के इस विचार का समर्थन करते हुए, समय-समय पर अनेक राष्ट्रीय नेताओं और राजनीतिक दलों ने भी इसे आगे बढ़ाया. हमारे राष्ट्र निर्माताओं की उस इच्छा का सम्मान करना, हमारा दायित्व है. मुझे प्रसन्नता है कि संसद के दोनों सदनों द्वारा नागरिकता संशोधन कानून बनाकर, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की इच्छा को पूरा किया गया है.
राष्ट्रपति ने साथ ही पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार पर कहा, “मैं पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार की निंदा करते हुए, विश्व समुदाय से इसका संज्ञान लेने और इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने का भी आग्रह करता हूं.”
राष्ट्रपति ने आर्टिकल 370 को बताया ऐतिहासिक
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने भाषण में आर्टिकल 370 का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा,
“संसद के दोनों सदनों द्वारा दो तिहाई बहुमत से संविधान के अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 ए को हटाया जाना, न सिर्फ ऐतिहासिक है बल्कि इससे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के समान विकास का भी मार्ग प्रशस्त हुआ है.”
साथ ही उन्होंने कश्मीर में हुए सरकारी काम का भी तारीफ की. उन्होंने कहा, “जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का तेज विकास, वहां की संस्कृति और परंपराओं की रक्षा, पारदर्शी व ईमानदार प्रशासन और लोकतंत्र का सशक्तीकरण, मेरी सरकार की प्राथमिकताओं में हैं. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जहां मार्च 2018 तक जम्मू-कश्मीर में लगभग 3,500 घर बनाए गए थे, वहीं दो साल से भी कम समय में 24,000 से ज्यादा घरों का निर्माण पूरा किया गया है.”
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