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प्रेस के काम में बाधा ना बने सरकार,राजद्रोह के खिलाफ पत्रकार संगठन

किसान आंदोलन के दौरान 5 पत्रकारों पर राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया है, प्रेस संगठनों ने UAPA पर भी उठाए सवाल

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हाल में 26 जनवरी को कृषि प्रदर्शनों के दौरान 6 पत्रकारों पर उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश पुलिस ने राजद्रोह, आपराधिक साजिश रचने और शत्रुता बढ़ाने जैसी गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था. इन पत्रकारों में राजदीप सरदेसाई, मृणाल पांडे, विनोद जोस, जफर आगा, परेशनाथ और अनंतनाथ शामिल हैं.

30 जनवरी को कई प्रतिष्ठित और बड़े पत्रकार संगठनों ने इसका मनमाने कदम का विरोध करने एक मीटिंग आयोजित की. मीटिंग में "जनता को सूचित करने के पत्रकारों के काम में सरकार द्वारा बाधा पहुंचाने वाले कदम उठाए जाने" पर खेद जताया गया.

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इस मीटिंग में प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, प्रेस एसोसिएशन, द इंडियन वीमेन प्रेस कॉर्प्स, दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट और इंडियन जर्नलिस्ट यूनियन जैसे बड़े पत्रकार संगठन शामिल हुए.

संगठनों द्वारा पारित प्रस्ताव में कहा गया:

: यह बैठक सरकार से 28 जनवरी को संपादकों और प्रकाशनों के साथ-साथ हाल के सालों में दूसरे पत्रकारों पर लगाई गए आपराधिक धाराओं, जिनमें राजद्रोह भी शामिल है, उन्हें वापस लेने की अपील करती है. हम सरकार से मांग करते हैं कि वो समाचार संस्थानों पर दबाव डालना बंद कर दे.

स्टेटमेंट में आगे राजद्रोह के कानून तो खत्म करने और पत्रकारों के खिलाफ, आतंकवादियों के लिए बनाए गए UAPA कानून के पूर्वाग्रह से प्रेरित, खतरनाक और गलत इस्तेमाल को रोकने को भी कहा गया.

अगर पत्रकारों के खिलाफ पूर्वाग्रह से ग्रसित यह धाराएं नहीं हटाई गईं, तो हम इस सिलसिले में एक कैंपेन चलाएंगे. हमारा संघर्ष संविधान के दायरे में रहेगा. इस कोशिश में हम अपनी पूरी ताकत लगाएंगे.
पत्रकार संगठनों द्वारा पारित प्रस्ताव

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