दिल्ली हाई कोर्ट ने माना है कि छात्रों के अभिभावकों से मौजूदा लॉकडाउन के दौरान एनुअल और डेवलपमेंट फीस नहीं ली जा सकती है. जब तक कि स्कूलों को फिर से नहीं खोला जाता है. मतलब स्कूलों के बंद रहने तक ये दोनों फीस नहीं वसूली जा सकती हैं.
प्राइवेट स्कूल के बच्चों के पेरेंट्स एसोसिएशन की ओर से दायर याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस जयंत नाथ ने ये टिप्पणी की है.
दरअसल, पेरेंट्स एसोसिएशन ने स्कूल की ओर से जुलाई के महीने से ट्यूशन फीस के साथ एनुअल और डेवलपमेंट फीस लेने के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, इसी पर सुनवाई के दौरान अदालत ने जुलाई से अगले आदेश तक ये दोनों फीस लेने पर रोक लगा दी है.
साथ ही जस्टिस जयंत नाथ ने प्राइवेट स्कूल और दिल्ली सरकार को भी नोटिस दिया है और उन्हें अपनी बात रखने को कहा है. इस मामले पर अगली सुनवाई 16 सितंबर को होगी.
आदेश के मुताबिक, वीडियो-कॉन्फ्रेंस के जरिए सुनवाई के दौरान, स्कूल ने तर्क दिया कि लॉकडाउन खत्म हो गया है और इसलिए, ये वार्षिक और विकास शुल्क लगा सकता है.
दिल्ली सरकार की दलील, पहले से ही लगा रखी थी रोक
हालांकि, दिल्ली सरकार की ओर से अतिरिक्त स्थायी वकील गौतम नारायण ने अदालत को बताया कि शिक्षा निदेशालय ने 18 अप्रैल एक सर्कुलर में स्कूलों को लॉकडाउन के दौरान वार्षिक और विकास शुल्क नहीं लेने के लिए कहा था, क्योंकि कोई भी स्कूल शारीरिक रूप से नहीं खुले हैं.
दोनों पक्षों को सुनने के बाद, न्यायाधीश ने कहा, "मेरी राय में, प्रथम दृष्टया, यह प्रतीत होता है कि लॉकडाउन के दौरान माता-पिता से वार्षिक और विकास शुल्क नहीं लिया जा सकता है."
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