फाइटर प्लेन रफाल के सौदे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा. कांग्रेस के आरोपों और रक्षामंत्री के जवाब के बाद अब सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने इस पर सवाल उठाया.
रफाल सौदे को लेकर रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से आए बयान पर सीताराम येचुरी ने कहा कि रद्द किए गए पहले के 126 लड़ाकू जेट विमानों के सौदे और मौजूदा 36 विमानों के सौदों की तुलनात्मक कीमतें क्यों नहीं साझा की गईं.
येचुरी ने एक ट्वीट में कहा, "रक्षामंत्री के संवाददाता सम्मेलन में रफाल सौदे को लेकर जो जवाब मिला है, उससे कहीं ज्यादा उसपर सवाल उठ रहे हैं. मोदी सरकार सस्ती दरों पर रफाल विमानों की खरीद का दावा करती है तो फिर दोनों सौदों की तुलनात्मक कीमतें साझा क्यों नहीं करती है?"
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से रफाल सौदे की घोषणा किए जाने पर सवाल उठाया और पूछा, "क्या 2015 में पेरिस में 36 रफाल लड़ाकू विमानों की खरीद को लेकर मोदी की ओर से घोषणा करने से पहले सुरक्षा से संबंधित मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीएस) की कोई बैठक हुई थी और उसमें इस फैसले को मंजूरी प्रदान की गई थी?"
सीपीएम नेता ने कहा कि मोदी 'मेक इन डंडिया' का बखान करते हैं, लेकिन फ्रांस से किए गए सौदे में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की कोई बात शामिल नहीं है. उन्होंन कहा, "क्या यही 'मेक इन इंडिया' है?"
कांग्रेस के आरोपों को रक्षामंत्री ने खारिज किए
रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस के उन आरोपों को खारिज कर दिया था, जिनमें फ्रांस से 36 रफाल लड़ाकू जेट विमानों की खरीद के सौदों में अनियमितता बरते जाने की बात कही गई थी. रक्षामंत्री ने इस सौदे को पूर्व में मल्टी-रोल कांबैट एयरक्राफ्ट (एमएमआरसीए) सौदे, जिसके तहत 126 लड़ाकू जेट विमानों की खरीद की जानेवाली थी, से सस्ता बताया. हालांकि मंत्री ने इसकी पुष्टि में कोई तुलनात्मक कीमतों के आंकड़े पेश नहीं किए थे.
एमएमआरसीए सौदे के तहत फ्रांस की विमान कंपनी ‘दसॉल्ट’ से बिक्री की उपलब्धता के आधार पर 18 रफाल विमानों की खरीद की जानी थी. साथ ही, 108 विमानों का निर्माण भारत में हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड के तहत किया जाना था.
सीतारमण ने कहा कि भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार की ओर से किए गए सौदे में किसी भी प्रक्रिया का उल्लंघन नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि सुरक्षा से संबंधित मंत्रिमंडलीय समिति की स्वीकृति के बाद ही सौदे पर हस्ताक्षर किए गए हैं.
रक्षामंत्री ने बताया कि इस सौदे पर हस्ताक्षर सितंबर 2016 में किए गए थे, जबकि प्रधानमंत्री ने इससे डेढ़ साल पहले अप्रैल 2015 में इसकी घोषणा की थी. मंत्री ने स्पष्ट किया है कि सिर्फ 36 लड़ाकू विमानों के सौदे में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की बात व्यावहारिक नहीं थी.
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