राफेल डील को लेकर सरकार और विपक्ष आमने-सामने हैं. इस बीच इंडियन एयरफोर्स ने राफेल को सेना की ताकत के नजरिए से काफी फायदेमंद बताया है. वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल बीरेंद्र सिंह धनोआ ने राफेल डील पर सरकार का सपोर्ट किया है. साथ ही कहा है कि सरकार राफेल, एस-400 देकर भारतीय वायुसेना की ताकत बढ़ाएगी. इससे सेना को काफी मजबूती मिलेगी.
‘दुश्मनों से मुकाबले में मिलेगी मदद’
धनोआ ने कहा, “दुनिया में कोई भी देश उस तरह के गंभीर खतरे का सामना नहीं कर रहा है जैसा भारत कर रहा है. आज हमारे पास केवल 31 स्क्वाड्रन रह गए हैं, जबकि हमें कम से कम 42 स्क्वाड्रन चाहिए. अगर 42 स्क्वाड्रन भी होते हैं तो भी दोनों तरफ की जंग लड़ना आसान नहीं होगा. उन्होंने कहा कि हमारे पड़ोसी चुपचाप नहीं बैठे हैं. हमें उनसे निपटने के लिए हमेशा तैयार रहना होगा. ऐसे में हमें राफेल से काफी मदद मिल सकती है.”
इससे पहले एयरफोर्स के वाइस चीफ एयर मार्शल एसबी देव भी इस डील के सपोर्ट में आए थे. उन्होंने कहा था, ये एक बेहद शानदार एयरक्राफ्ट है, जो बहुत ताकतवर है. हम इसे उड़ाने का इंतजार कर रहे हैं. राफेल से इंडियन एयरफोर्स की ताकत बढ़ेगी और भारत मुकाबला करने के लिए और भी मजबूत हो जाएगा.
कांग्रेस ने लगाए हैं इस डील पर कई आरोप
कांग्रेस इस सौदे में भारी अनियमितताओं का आरोप लगा रही है. उसका कहना है कि सरकार हर एक विमान 1,670 करोड़ रुपये में खरीद रही है, जबकि यूपीए सरकार ने एक विमान की कीमत 526 करोड़ रुपये तय की थी. इसके अलावा पार्टी का कहना है कि सरकार ने क्यों सरकारी एयरोस्पेस कंपनी एचएएल को इस सौदे में शामिल नहीं किया.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल विमान डील को देश का ‘अब तक का सबसे बड़ा’ रक्षा घोटाला करार दिया. साथ ही इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहराया.
क्या है राफेल डील
भारत ने 58,000 करोड़ रुपए की लागत से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए सितंबर 2016 में फ्रांस के साथ समझौता किया था. जेट विमानों की डिलीवरी सितंबर 2019 से शुरू होने वाली है.
ये भी पढ़ें- इधर राफेल पर संग्राम, उधर एयरफोर्स के पायलट की ट्रेनिंग शुरू
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)