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राहुल गांधी को 'सुप्रीम' राहत, मोदी सरनेम केस में सजा पर रोक, MP सदस्यता भी बहाल होगी

Modi surname defamation case: सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि इस मामले में राहुल गांधी को अधिकतम सजा क्यों दी गई?

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भारत
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मोदी सरनेम मानहानि केस (Modi Surname Case) में कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को 'सुप्रीम' राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार, 4 अगस्त को इस मामले में राहुल गांधी की 2 साल की सजा पर रोक लगा दी. इसके साथ ही उनकी सांसद सदस्यता भी बहाल हो जाएगी. कोर्ट ने पूछा कि इस मामले में अधिकतम सजा क्यों दी गई. बता दें कि गुजरात की सेशन कोर्ट ने 23 मार्च को राहुल को दो साल की सजा सुनाई थी. जिसके चलते उनकी सांसदी चली गई थी.

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सुप्रीम कोर्ट में 3 घंटे चली बहस

राहुल के वकील ने कहा कि मानहानि का केस करने वाले पूर्णेश मोदी का असली सरनेम मोदी नहीं, उन्होंने अपना सरनेम बदला है. राहुल की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलीलें दीं. उन्होंने कहा- शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी का असली सरनेम मोदी नहीं है. उन्होंने ये सरनेम बाद में अपनाया है.

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने अपने भाषण के दौरान जिन लोगों का नाम लिया था, उनमें से एक ने भी मुकदमा नहीं किया. इस समुदाय से केवल बीजेपी के पदाधिकारी मुकदमा कर रहे हैं.

अभिषेक मनु सिंघवी ने आगे कहा कि लोकतंत्र में हम असहमति रखते हैं. राहुल गांधी कोई कट्टर अपराधी नहीं हैं. राहुल गांधी पहले ही संसद के दो सत्रों से दूर रह चुके हैं.

पूर्णेश मोदी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने तर्क दिया कि पूरा भाषण 50 मिनट से अधिक समय का था और भारत के चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में भाषण के ढेर सारे सबूत और क्लिपिंग संलग्न हैं. जेठमलानी का कहना है कि राहुल गांधी ने द्वेषवश एक पूरे वर्ग को बदनाम किया है.

अधिकतम सजा क्यों दी गई- SC

वहीं सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि इस मामले में राहुल को अधिकतम सजा क्यों दी गई? अगर 1 साल 11 महीने की सजा दी होती तो वो (राहुल गांधी) अयोग्य (लोकसभा सदस्यता) नहीं ठहराए जाते.

जिसपर महेश जेठमलानी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले राहुल गांधी को आगाह किया था जब उन्होंने कहा था कि राफेल मामले में शीर्ष अदालत ने प्रधानमंत्री को दोषी ठहराया है. उन्होंने कहा कि उनके आचरण में कोई बदलाव नहीं आया है.

वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत के न्यायाधीश द्वारा अधिकतम सजा देने का कोई कारण नहीं बताया गया है, अंतिम फैसला आने तक दोषसिद्धि के आदेश पर रोक लगाने की जरूरत है.

इसके साथ ही कोर्ट ने कहा ने राहुल गांधी को राहत देते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट के आदेश का प्रभाव व्यापक है. इससे न केवल राहुल गांधी का सार्वजनिक जीवन में बने रहने का अधिकार प्रभावित हुआ, बल्कि उन्हें चुनने वाले मतदाताओं का अधिकार भी प्रभावित हुआ.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया, "यह नफरत के खिलाफ मोहब्बत की जीत है. सत्यमेव जयते - जय हिंद."

क्या है मामला?

बता दें कि गुजरात सरकार के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी की शिकायत पर 2019 में राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दायर किया गया था.

दरअसल 13 अप्रैल, 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली के दौरान राहुल गांधी ने भगोड़े घोषित बिजनेस मैन नीरव मोदी और ललित मोदी का जिक्र किया था. राहुल गांधी ने कथित तौर पर कहा था कि सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है.

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