कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की चिट्ठी में इस्तीफे के साथ-साथ वो दर्द भी दिख रहा है, जो बतौर कांग्रेस अध्यक्ष वो महसूस करते थे. राहुल ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि कई बार उन्हें अकेले ही चुनौतियों से निपटना पड़ा. पढ़िए राहुल गांधी की पूरी चिट्ठी.
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- कांग्रेस पार्टी की सेवा करना मेरे लिए सम्मान की बात है, जिसके आदर्श और मूल्य हमारे सुंदर देश की रग-रग में है. मैं अपनी पार्टी और देश का हमेशा कर्जदार रहूंगा.
- 2019 के चुनावों में कांग्रेस को मिली हार के लिए अध्यक्ष के तौर पर मैं जिम्मेदार हूं. पार्टी की तरक्की के लिए जवाबदेही तय करना जरूरी है. इसलिए मैं पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे रहा हूं.
- पार्टी को फिर से खड़ा करने के लिए कड़े फैसले करने होंगे और बहुत से लोगों को 2019 में मिली हार की जिम्मेदारी लेनी होगी. सिर्फ दूसरों को जवाबदेह ठहराना और अध्यक्ष के तौर पर खुद जिम्मेदारी न लेना नाइंसाफी होगी.
- मेरे बहुत से सहयोगियों ने सुझाव दिया मैं अगले अध्यक्ष को मनोनित कर दूं. पार्टी का नेतृत्व कोई नया शख्स करे ये जरूरी है, लेकिन उसे मैं चुनूं, ये ठीक नहीं. हमारी पार्टी का लंबा इतिहास और विरासत रही है, जिसके संघर्ष और मान का मैं सम्मान करता हूं. ये पार्टी देश की संस्कति में गुंथी हुई है, और मुझे भरोसा है कि पार्टी जिसे भी नया अध्यक्ष चुनेगी वो इसे साहस, स्नेह और ईमानदारी से चलाएगा.
- इस्तीफा देने के बाद ही मैंने कांग्रेस वर्किंग कमेटी के साथियों को सलाह दी थी कि कुछ लोगों की टीम बनाई जाए और उन्हें नया अध्यक्ष चुनने की जिम्मेदारी दी जाए. मैंने उन्हें ऐसा करने के लिए अधिकृत किया था और अपना पूरा सहयोग दिया ताकि नेतृत्व परिवर्तन आसानी से हो जाए.
- मेरा संघर्ष कभी सियासी शक्ति के लिए था ही नहीं. मेरे मन में बीजेपी के लिए कोई घृणा या गुस्सा नहीं है, लेकिन वो जैसा भारत बनाना चाहते हैं, उसका मेरा रोम-रोम विरोध करता है. ये विरोध इसलिए है क्योंकि इंडिया को लेकर उनकी सोच और मेरी सोच अलग है. ये लड़ाई नई नहीं है. ये लड़ाई हमारी मिट्टी पर हजारों साल से हो रही है. जहां उन्हें अलगाव दिखता है, मुझे समानता दिखती है. जहां उन्हें घृणा दिखती है, मुझे प्यार दिखता है. जिससे वो डरते हैं, उसे मैं गले लगाता हूं.
- प्यार और अपनेपन का ये आइडिया करोड़ों भारतीयों के दिल में भी है. यही भारत बनाने के लिए हम संघर्ष करेंगे. राष्ट्र के तानेबाने को बिगाड़ने के लिए हमारे देश और संविधान पर हमले किए जा रहे हैं. मैं इस संघर्ष से किसी भी सूरत में पीछे हटने नहीं जा रहा हूं. मैं पार्टी का एक वफादार सिपाही हूं, देश का समर्पित बेटा हूं और अंतिम सांस तक उसकी सेवा करता रहूंगा.
- हमने चुनाव पूरी ताकत और सम्मान से लड़ा. हमारी मुहिम देश के सभी लोगों के लिए भाईचारे, समरसता और सम्मान के लिए थी. मैंने निजी तौर पर पीएम, आरएसएस और उन्होंने जिन संस्थाओं को हथिया लिया उनके खिलाफ लड़ाई लड़ी.
- मैं लड़ा क्योंकि मुझे भारत से प्यार है. और मैं इसलिए लड़ा ताकि उन आदर्शों को बचाया जा सके, जिनसे भारत बना है. कई बार मैं बिल्कुल अकेला खड़ा रहा, और मुझे इसपर गर्व है. अपने कार्यकर्ताओं की लगन और समर्पण ने मुझे बहुत कुछ सिखाया है. उन्होंने मुझे प्यार और अदब सिखाया है.
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टॉपिक: सोनिया गांधी राहुल गांधी कांग्रेस
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