सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर सुनवाई का आखिरी दौर चल रहा है. जिसे लेकर अब उत्तर प्रदेश के अयोध्या में धारा 144 लागू कर दी गई है, जो 10 दिसंबर तक लागू रहेगी. सुनवाई 17 अक्टूबर तक खत्म होनी है. जिसके चलते दोनों पक्षों की तरफ से आखिरी दलीलें दी जा रही हैं.
14 अक्टूबर से सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवादित मामले के आखिरी दौर की सुनवाई शुरू हो चुकी है. ऐसे में अयोध्या को हाई अलर्ट पर रखा गया है और ऐहतियातन अयोध्या में धारा 144 लागू की गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम चरण की दलीलों के लिए कार्यक्रम निर्धारित करते हुए कहा था कि मुस्लिम पक्ष 14 अक्टूबर तक अपनी दलीलें पूरी करेंगे और इसके बाद हिंदू पक्षकारों को 16 अक्टूबर तक दो दिन का समय दिया जाएगा. इसके बाद 17 नवंबर को फैसला सुनाए जाने की उम्मीद है. खास बात है कि इसी दिन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई रिटायर हो रहे हैं.
38वें दिन मामले की सुनवाई
14 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ 38वें दिन इस मामले की सुनवाई कर रही है. पीठ के सदस्यों में जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस ए नजीर भी शामिल हैं.
बता दें, इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2014 के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट 14 अपीलों पर सुनवाई कर रहा है. पीठ ने इस मामले में कोर्ट की कार्यवाही पूरी करने की समय सीमा की समीक्षा की थी और इसके लिए 17 अक्टूबर की सीमा तय की है.
मुस्लिम बोर्ड को अयोध्या की विवादित जमीन छोड़ना मंजूर नहीं
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अयोध्या की विवादित जमीन हिंदुओं को देने की मसले पर मुस्लिम बुद्धिजीवियों की पैरोकारी को मानने से इनकार कर दिया है. पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपने जारी एक बयान में कहा कि "बाबरी मस्जिद किसी भी मंदिर को को तोड़कर नहीं बनाई गई. लिहाजा, शरीयत कानून के हिसाब से यह जमीन न किसी और को ट्रांसफर की जा सकती है और न ही किसी के हाथों बेची जा सकती है. शरीयत कानून हमें इसकी इजाजत नहीं देता."
इंडियन मुस्लिम फॉर पीस संस्था के बैनर तले लखनऊ में गुरुवार को आयोजित एक कार्यक्रम में मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने कहा था कि "अगर मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट से मुकदमा जीत भी जाता है तो उसे यह जमीन हिंदुओं को दे देनी चाहिए."
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