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राजस्थान में अब बाल विवाह का भी होगा रजिस्ट्रेशन, विपक्ष ने बताया काला कानून

विधेयक पर विपक्ष ने कहा काला कानून, मत विभाजन की रखी मांग, फिर किया वॉकआउट

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राजस्थान (Rajasthan) में अब बाल विवाहों (Child Marriage) का भी कानूनी रूप से रजिस्ट्रेशन हो सकेगा. विधानसभा में शुक्रवार 17 सितंबर को इस नए कानून से संबंधित विवाहों का अनिवार्य रजिस्ट्रीकरण (संशोधन) विधेयक, 2021 पारित कर दिया गया.

विधेयक को लेकर बीजेपी और निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने विरोध जताते हुए इस जनविरोधी काला कानून बताया. बीजेपी ने विधेयक पर पहले तो मत-विभाजन की मांग की जो सभापति राजेन्द्र पारीक ने अस्वीकार कर दी. बाद में विधेयक के विरोध में वॉकआउट भी किया.

इस विधेयक के पारित हो जाने के बाद अब प्रदेश में सभी तरह के विवाहों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा. इसके साथ ही ब्लॉक स्तर तक विवाह रजिस्ट्रेशन अधिकारी रजिस्ट्रेशन कर सकेंगे.

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बिल में क्या प्रावधान है ? 

बिल में यह प्रावधान है कि अगर शादी के वक्त लड़की की उम्र 18 साल से कम और लड़के की उम्र 21 से कम है तो उसके माता-पिता को 30 दिन के भीतर इसकी सूचना रजिस्ट्रेशन अधिकारी को देनी होगी.

बाल विवाह के मामले में लड़का-लड़की के माता-पिता रजिस्ट्रेशन अधिकारी को तय फॉर्मेट में ज्ञापन देकर सूचना देंगे. इसके आधार पर रजिस्ट्रेशन अधिकारी उस बाल विवाह को रजिस्टर्ड करेगा. विधेयक को पारित करवाते हुए संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि,

"संशोधन उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के बाद लाया गया है. इसमें प्रावधान किया गया है कि यदि बाल विवाह होने के बाद वर या वधू में से किसी एक की मृत्यु हो जाती है तो रजिस्ट्रेशन लीगल दस्तावेज के रूप में काम करेगा. इससे सरकारी योजनाओं का लाभ लिया जा सकेगा"

धारीवाल ने कहा इस संशोधन के बाद अब विवाहित जोड़ा या वर ने 21 और वधू ने 18 वर्ष की आयु पूर्ण नहीं की हो तो उनके माता-पिता या संरक्षक को विवाह होने की तारीख से 30 दिन के भीतर रजिस्ट्रार को आवेदन देना होगा.

उन्होंने बताया कि हर विवाहित को (चाहे बाल विवाह ही क्यों नहीं हो) रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य होगा. लेकिन संशोधन ये भी नहीं कहता कि ऐसे विवाह वैध होंगे. जिला कलेक्टर चाहे तो उन पर कार्रवाई कर सकते हैं. यह संशोधन केंद्रीय कानून का विरोधाभास नहीं है. उच्चतम न्यायालय का भी फैसला है कि विवाहों का अनिवार्य रजिस्ट्रेशन होना चाहिए.

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विधेयक काला कानून- कटारिया

नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने विधेयक को लेकर कहा कि 2009 में भी ऐसा ही कानून लाया गया था जो बहुत बड़ी गलती थी. सरकार अब जो संशोधन ला रही है, वो केन्द्र के विवाह को लेकर बने कानून का विरोधाभासी है.

संशोधन विधेयक की धारा-8 हमारे शारदा एक्ट जैसे कानून की अवहेलना है. कटारिया ने कहा कि विधेयक में तीस दिन में रजिस्ट्रेशन के लिए सूचना देने का प्रावधान किया गया है लेकिन जो सूचना नहीं देंगे उनके खिलाफ दंड का प्रावधान नहीं किया गया है.

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बाल विवाह का रजिस्ट्रेशन का विधेयक काला कानून है. अगर सरकार इसे पारित करवाती है तो सदन के लिए यह अफसोस का दिन होगा.
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राजस्थान में हो रहे 16.2 प्रतिशत बाल विवाह

उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि राजस्थान बाल विवाह की कुरीति के मामले में देश में अग्रणी राज्यों में है. यहां 16.2 फीसदी बाल विवाह होते हैं. यूनिसेफ की रिपोर्ट लिखा है कि कोलकाता में बाल विवाह कम हो रहे हैं और राजस्थान में बढ़ रहे हैं.

ऐसी परिस्थितियों में राज्य सरकार यह खोटा कानून ला रही है. राठौड़ ने मांग की कि विधेयक को तदर्थ समिति को भेजा जाए. निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने कहा कि इस विधेयक में बाल विवाह को जस्टिफाइ करना गलत है. यह पूरी तरह से जनविरोधी कदम है.

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