कोरोना वायरस से मचे कोहराम के बीच राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) और बीजेपी की तरफ से पॉजिटिविटी प्रोग्राम चलाया जा रहा है. जिसमें लोगों को इस मुश्किल दौर में पॉजिटिव रहने की सलाह दी जा रही है. इस सीरीज में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी लोगों को बताया कि आखिर कैसे वो इस दौर में खुद को पॉजिटिव रख सकते हैं. हालांकि भागवत ने इस दौरान ये माना कि, कोरोना प्रबंधन पर सरकार देर से जागी.
‘ये नहीं कह रहे सब कुछ ठीक है, लेकिन पॉजिटिव रहना जरूरी’
मोहन भागवत ने कहा कि, ये समय बहुत कठिन चल रहा है. इस दुख में सांत्वना से काफी कुछ नहीं होता, खुद को खुद ही संभालना पड़ता है. अपने लोग चले गए हैं, लेकिन अब तो कुछ नहीं कर सकते हैं. जो चले गए वो एक तरह से मुक्त हो गए, उन्हें अब इस परिस्थिति का सामना नहीं करना है. लेकिन हमें करना है. हम ये नहीं कह रहे हैं कि कुछ नहीं हुआ है, सब कुछ ठीक है. परिस्थिति कठिन है, व्याकुल और निराश करने वाली ही. लेकिन हम अपने मन को नेगेटिव नहीं होने देंगे. हमें मन को पॉजिटिव रखना है और शरीर को कोरोना नेगेटिव रखना है.
भागवत ने कहा कि, आज जितना दुख है उतनी ही आशा है. ऐसी परिस्थितियों में समाज की कुछ विकृतियां बाहर आती हैं, ये बात सही है. रोज 10-5 परिचित लोगों के जाने का समाचार सुनना, मीडिया के जरिए परिस्थिति बड़ी विक्राल है, विक्राल है इसका घोष सुनना... ये हमारे मन को उदास बनाएगा, ऐसा मत होने दें. ऐसी बाधाओं को लांघकर मानवता आगे बढ़ी है.
जीवन मरण का चक्र चलता रहता है- भागवत
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि, ये जीवन मरण का चक्र चलता रहता है. जैसे मनु्ष्य मैले और पुराने कपड़े पहनकर नए कपड़े बदलता है, वैसे पुराना शरीर छोड़कर नया शरीर धारण करके आता है. हमें ये बातें डरा नहीं सकती हैं. ब्रिटेन के पंत प्रधान चर्चिल के टेबल पर एक वाक्य लिखा होता था. जो था- हम हार की चर्चा में बिल्कुल रस नहीं रखते, क्योंकि हमारी हार नहीं होने वाली है. हमें जीतना है. भागवत ने कहा,
सामूहिकता के बल पर हम आगे निकल सकते हैं. देर से जागे तो कोई बात नहीं. सामूहिकता के बल पर अपनी गति बढ़ाकर हम ये पूरा अंतर पूरा कर सकते हैं. इसके लिए संकल्प और धैर्य जरूरी है. परिणाम आने के लिए थोड़ी देर लगती है, तब तक लगे रहना पड़ता है.
गफलत में आए, इसीलिए खड़ा हुआ संकट
भागवत ने कहा कि, पहली लहर आने के बाद हम सब लोग गफलत में आ गए. जनता से लेकर शासन और प्रशासन सब लोग... डॉक्टर लोग इशारा दे रहे थे, फिर भी गफलत में आ गए. इसलिए ये संकट खड़ा हुआ. अब आगे तीसरी लहर की चर्चा कर रहे हैं. लेकिन उससे डरना नहीं है, अगर वो आती है तो जैसे चट्टान पर टकराकर सागर की लहर टूट जाती है, वैसे ही उस आपत्ति को लौटना पड़े ऐसी तैयारी करनी होगी.
संघ प्रमुख ने कहा कि, इस वक्त पूरे भारत को सारे भेद भूलकर, दोष गुणों की चर्चा के लिए बाद में समय मिलेगा. अभी एक टीम की तरह काम करना है. अजीम प्रेमजी ने स्पीड बढ़ान की बात कही, इसके लिए टीम बनकर काम करना होगा. उन्होंने कहा कि, सजगता के कारण बचाव हो सकता है.
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