राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने फार्म बिल पास होने के दौरान विपक्ष के उन प्रस्तावों को खारिज कर दिया था, जिसमें बिल को संसदीय समिति (चयन समिति) के पास भेजे जाने के लिए वोटिंग कराए जाने की मांग की जा रही थी.
हरिवंश ने अपने फैसले को सही ठहराते हुए कहा था कि विपक्षी सदस्य यह मांग करते समय अपनी सीट पर नहीं बैठे थे. सदन में मचे हंगामे के दौरान उपसभापति यह कहते हुए सुने गए थे कि मतदान की मांग करने के लिए सदस्यों को उनकी सीट पर बैठना जरूरी है.
लेकिन अब इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में कुछ उलटी ही तस्वीर सामने आ रही है.
अखबार के मुताबिक, कृषि विधेयकों को चयन समिति के पास भेजे जाने के लिए मतदान की मांग करने वाले कम से कम दो सदस्य सदन अपनी सीट पर मौजूद थे. इस बात की पुष्टि करने के लिए अखबार ने राज्यसभा चैनल की आधिकारिक फुटेज का इस्तेमाल किया है. जिसमें साफ दिखाई देता है कि डीएमके के तिरुचि शिवा और CPM के K K रागेश मतदान की मांग करते वक्त अपनी सीट पर मौजूद थे.
अखबार ने फुटेज का इस्तेमाल करते हुए एक बजे से लेकर 1:26 तक सदन की कार्रवाई का सीक्वेंस भी बताया है.
इसमें 1 बजकर 9 मिनट पर उपसभापति कहते हैं कि चयन समिति के पास भेजे जाने वाले प्रस्ताव की मांग सीट से की जानी चाहिए. यह प्रस्ताव तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रॉयन ने बढ़ाया होता है. इसे वॉयस वोट (मौखिक मतदान) के जरिए रद्द कर दिया जाता है.
1 बजकर 10 मिनट पर उपसभापति डीएमके सदस्य तिरुचि शिवा का प्रस्ताव उठाते हैं, जिसमें कृषि विधेयकों को संसद की चयन समिति के पास भेजे जाने का प्रस्ताव है. इस दौरान साफ देखा जा सकता है कि तिरुची शिवा अपनी सीट पर बैठे हुए हैं. वह एक हाथ उठाते हुए मतदान करवाने की मांग कर रहे होते हैं. लेकिन उपसभापति फिर मौखिक वोट के जरिए इसे रद्द कर देते हैं.
इसके बाद ओ ब्रॉयन चेयरमैन के पोडियम पर रूल बुक की एक कॉपी ले जाते हैं और कहते हैं आप ऐसा नहीं कर सकते. नियम क्या है. विजुअल में अब भी साफ देखा जा सकता है कि शिवा अपनी सीट पर ही मौजूद हैं.
एक बजकर 12 मिनट पर भी रागेश अपनी सीट पर दिखाई देते हैं. इसके बाद टकराव बढ़ जाता है. एक बजकर 13 मिनट पर एक गुमनाम सदस्य उपसभापति के पोडियम का माइक्रोफोन निकाल देता है. अगले ही मिनट आवाज आना बंद हो जाती है. एक बजकर 26 मिनट पर 15 मिनट के लिए सदन की कार्रवाई रोक दी जाती है.
पढ़ें ये भी: Covid19: भारत में 24 घंटों में 88,000 से ज्यादा केस, 1124 मौतें
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)