कांग्रेस-पाक साठगांठ पर पीएम नरेंद्र मोदी के आरोप के बारे में आरटीआई से जवाब मांगे जाने पर कोई पुख्ता सबूत पेश नहीं किया गया है. इस बारे में पीएमओ की ओर से दिए गए जवाब में कहा गया है कि औपचारिक और अनौपचारिक समेत कई स्रोतों से प्राप्त इनपुट, पीएम के बयान के स्रोत बनते हैं.
इस आरटीआई जवाब पर कांग्रेस और बीजेपी में खासी भिड़ंत हो गई. कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने इस संबंध में बीजेपी प्रवक्ता नलिन कोहली की ओर से द क्विंट को दिए जवाब को पीएमओ का आधिकारिक जवाब मान लिया और एक प्रेस कांफ्रेंस कर पीएम और पीएमओ पर सवाल दाग दिए. जबकि यह पीएमओ का आधिकारिक बयान नहीं था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पर जो आरोप लगाया था उसका क्या आधार था? कांग्रेस कार्यकर्ता साकेत गोखले ने ये सवाल प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से दिसंबर 2017 में आरटीआई के जरिए पूछा. इसके बाद गोखले जवाब का इंतजार करते रहे. छह महीने बाद जाकर उन्हें पीएमओ से जवाब मिला. आरटीआई के जवाब आने में आमतौर पर 30 दिन लगते हैं पर 12 दिसंबर को लगाई गई अर्जी का जवाब मिला 7 जून 2018 को.
कांग्रेस पर मोदी ने क्या आरोप लगाया था?
गुजरात के पालनपुर में 10 दिसंबर 2017 को एक चुनाव रैली में मोदी ने आरोप लगाया था कि मणिशंकर अय्यर के घर हुई एक बैठक में पाकिस्तानी उच्चायुक्त, पाकिस्तान के विदेश मंत्री अंसारी और मनमोहन सिंह मौजूद थे. ये बैठक तीन घंटे चली थी. मोदी ने यह भी दावा किया था कि पूर्व सेना प्रमुख जनरल दीपक कपूर भी मणिशंकर अय्यर के निवास पर पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ इस 'बैठक' में मौजूद थे.
आरोप लगाने का मकसद ये था कि गुजरात चुनावों के नतीजों को प्रभावित करने की कोशिश में कांग्रेस पार्टी पाकिस्तान सरकार के साथ साठगांठ रही थी.जब गोखले का शुरुआती निवेदन रद्द हो गया, तो उन्होंने अपील दायर की. गोखले की अपील अपीलीय अधिकारी ने सुनाई, जिसके बाद पीएमओ के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) को आरटीआई का 30 दिनों के भीतर जवाब देने का आदेश दिया गया. क्विंट की ओर से देखे गए आरटीआई के जवाब में लिखा है, “हालांकि मांगी गई जानकारी इस कार्यालय में मौजूद रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं है, यह ध्यान दिया जा सकता है कि औपचारिक और अनौपचारिक समेत कई स्रोतों से प्राप्त इनपुट, पीएम के बयान के स्रोत को बनाते हैं.”
इस आरटीई जवाब पर कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने 9 जून को एक प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया के जरिये चुने गए पीएम अनौपचारिक स्त्रोतों पर भरोसा कर लोकतंत्र पर सवाल कर रहे हैं. आखिर वह अनौपचारिक स्त्रोत कौन है जिस पर भरोसा कर पीएम यह सवाल उठा रहे हैं. हम भी जानना चाहेंगे.
लेकिन खेड़ा से यहीं पर गलती हो गई. उन्होंने बीजेपी प्रवक्ता नलिन कोहली की ओर से इस मुद्दे पर द क्विंट को दिए जवाब को पीएमओ का ऑफिशियल आरटीआई जवाब मान लिया.
आठ जून को द क्विंट ने बीजेपी के प्रवक्ता और सुप्रीम कोर्ट के वकील नलिन कोहली से इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया मांगी. इस पर उन्होंने द क्विंट से कहा
आरटीआई से जो जानकारी मांगी गई थी वह चुनाव कैंपेन के दौरान पीएम के भाषण से संबंधित थी. जाहिर है मांगी गई जानकारी न तो नीतिगत मामलों से संबंधित है और न सरकार के फैसले के बारे में है. पीएम होने के नाते मोदी जी को अलग-अलग स्त्रोतों, अधिकारियों, जनता और अन्य जगहों से औपचारिक और अनौपचारिक सूचनाएं हासिल करने का हक है. इस संबंध में किसी व्यक्ति का आरोप लगाना समझ से परे है. पीएमओ ने जो जवाब दिया, उसमें क्या दिक्कत है.
क्विंट से बात करते हुए गोखले ने कहा कि उन्होंने ये आरटीआई इसलिए लगाई थी, क्योंकि प्रधानमंत्री का बयान राष्ट्रीय सुरक्षा और चुनावी प्रक्रिया से सम्बंधित था.
“यह गंभीर चिंता का विषय है कि अपने चुनावी प्रचार के लिए पीएम अफवाहों पर भरोसा करके ऐसे गंभीर आरोप लगाएं, जो हमारे चुनावी प्रक्रिया को दोषी ठहराते हों.”-साकेत गोखले ने क्विंट से कहा
गोखले ने ईमेल पर क्विंट को यह भी बताया कि "यह और भी आश्चर्य की बात है कि प्रधानमंत्री के आरोपों को विश्वसनीय तौर पर साबित करने लिए पीएमओ के पास कोई स्रोत या इनपुट नहीं है."
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