केरल के सबरीमाला मंदिर का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से ही यहां तनातनी का माहौल बना हुआ है. कोर्ट के आदेश के बाद भी यहां महिलाओं की एंट्री पर बैन बरकरार था, लेकिन मंगलवार रात दो महिलाओं ने मंदिर परिसर में एंट्री कर ली. जिससे मंदिर की सालों पुरानी परंपरा टूट गई. अब इस मुद्दे पर बहस और विरोध तेज हो चुका है. बीजेपी और हिंदू संगठनों ने इस मुद्दे पर मोर्चा खोल दिया है. हिंसक प्रदर्शन में घायल एक व्यक्ति की मौत भी हो चुकी है.
बीजेपी कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन
सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री के बाद अब बीजेपी के कार्यकर्ता राज्य में प्रदर्शन करने लगे हैं. पूरे राज्य में निकाले जा रहे प्रोटेस्ट मार्च में कई अन्य संगठन भी हिस्सा ले रहे हैं. सभी लोग इस बात का विरोध कर रहे हैं कि मंदिर परिसर में महिलाएं कैसे घुस गईं. इन प्रदर्शनों ने हिंसक रूप भी लिया और कई लोगों को चोटें आईं. इसी हिंसक प्रदर्शन में घायल हुए एक व्यक्ति की मौत भी हो चुकी है.
सीएम ने कहा आरएसएस-बीजेपी ने बनाया वॉर जोन
केरल के सीएम पिनाराई विजयन ने सबरीमाला पर हो रहे इस हंगामे के लिए बीजेपी और आरएसएस को जिम्मेदार बताया. उन्होंने कहा कि संघ परिवार ने केरल को वॉर जोन बना दिया है. उन्होंने बताया कि इन दोनों की वजह से ही राज्य में हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं. सीएम ने बताया, 'राज्य में सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए गए हैं. अभी तक हिंसक प्रदर्शनों में 7 पुलिस की गाड़ियों, 79 केएसआरटी की बसों को नुकसान पहुंचाया गया है. साथ ही 39 पुलिसकर्मियों पर अटैक हुआ है, जिनमें से ज्यादातर महिलाएं हैं. महिला मीडियाकर्मियों को भी टारगेट किया गया है'.
बिंदू और कनकदुर्गा नाम की दो महिलाओं ने सबरीमाला मंदिर में मंगलवार देर रात एंट्री कर ली, जिसके बाद अब राज्य में हालात बिगड़ने शुरू हो गए हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद बीजेपी और हिंदू संगठन इसका विरोध कर रहे हैं. केरल के सीएम ने इस सब के लिए संघ परिवार को जिम्मेदार बताया है.
क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने
सबरीमाला में महिलाओं की एंट्री को लेकर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा था कि 10-50 साल की उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश से बैन करने को जरूरी धार्मिक परंपरा नहीं माना जा सकता है. केरल का कानून महिलाओं को शारीरिक/जैविक प्रक्रिया के आधार पर महिलाओं को अधिकारों से वंचित करता है. उन्होंने कहा कि भक्ति में भेदभाव नहीं किया जा सकता है. पितृसत्तामक धारणा को आस्था में समानता के साथ खिलवाड़ करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. चीफ जस्टिस ने कहा कि भगवान अय्यप्पा को मानने वाले किसी दूसरे संप्रदाय-धर्म के नहीं है.
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