केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार रोजगार पर अपने बयान को लेकर विपक्ष के निशाने पर हैं. 15 सितंबर को संतोष गंगवार ने कहा कि उत्तर भारत में नौकरियों की कमी नहीं है, नौकरियों के लिए योग्य उम्मीदवारों की तलाश में दिक्कत आती है. अब बीएसपी चीफ मायावती ने इस बयान को बेहद शर्मनाक बताया है. साथ ही ये भी कहा है कि संतोष गंगवार को देश से माफी मांगनी चाहिए.
देश में छाई आर्थिक मंदी की गंभीर समस्या के संबंध में केंद्रीय मंत्रियों के अलग-अलग हास्यास्पद बयानों के बाद अब देश और खासकर उत्तर भारतीयों की बेरोजगारी दूर करने के बजाए ये कहना कि रोजगार की कमी नहीं बल्कि योग्यता की कमी है, अति-शर्मनाक है जिसके लिए देश से माफी मांगनी चाहिए.मायावती, अध्यक्ष, बीएसपी
सरकार आपकी, ऐसे बयान नहीं चलेंगे: प्रियंका गांधी
कांग्रेस महासचिव ने भी केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री के इस बयान को उत्तर भारतीयों का अपमान बताया है.
मंत्री जी, 5 साल से ज्यादा आपकी सरकार है. नौकरियां पैदा नहीं हुईं. जो नौकरियां सरकार लाई थी, वे आर्थिक मंदी के चलते छिन रही हैं. नौजवान रास्ता देख रहे हैं कि सरकार कुछ अच्छा करे. आप उत्तर भारतीयों का अपमान करके बच निकलना चाहते हैं. ये नहीं चलेगा.प्रियंका गांधी, महासचिव, कांग्रेस
कमी देश-प्रदेश के सरकार की है: अखिलेश यादव
समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी गंगवार के बयान पर हमला बोला है, अखिलेश ने कहा है ये बयान देकर युवाओं का मनोबल तोड़ा गया है.
बीजेपी के मंत्री जी ने ये कहकर युवाओं का मनोबल तोड़ा है कि देश में रोजगार की नहीं बल्कि काबिल युवाओं की कमी है. अगर एक क्षण को ये झूठी बात मान भी लें तो क्या युवाओं को काबिल बनाने का दायित्व सरकार का नहीं है. कमी काबिल युवाओं की नहीं, देश-प्रदेश के सरकार की है.अखिलेश यादव, अध्यक्ष, समाजवादी पार्टी
संतोष गंगवार ने क्या कहा है?
अखबारों में रोजगार की कमी की बात आ रही है. हम इसी को रोज मॉनिटर करने का काम कर रहे हैं. देश के अंदर रोजगार की कमी नहीं है. रोजगार बहुत है. मैं अकसर बोलता हूं, हमारे उत्तर भारत में जो लोग रिक्रूटमेंट करने आते हैं, तो वो सवाल करते हैं कि जिस पद के लिए हम आते हैं, उसकी क्वालिटी का आदमी कम मिलता है.संतोष गंगवार, केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री
बता दें देश में इस वक्त बेरोजगारी दर पिछले 45 सालों में सबसे ज्यादा है. वहीं इकनॉमी की हालत भी जर्जर हो रही है. इस तिमाही में विकास दर पांच फीसदी रही, जो पिछले 6.5 सालों में सबसे कम थी.
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