सुप्रीम कोर्ट ने SC-ST एक्ट मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. ये नोटिस कोर्ट के फैसले को बदलने और SC-ST एक्ट की पहले की स्थिति बहाल करने के लिए किए गए संशोधन को चुनौती देने वाली याचिका पर जारी किया गया है. दरअसल, SC-ST एक्ट में संशोधन किया गया और संसद के मॉनसून सत्र में इसे नए संशोधन को पारित कराया गया था, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट गया, और एक्ट के पहले की स्थिति बहाल हो गई.
6 हफ्ते में जवाब देना है
अब संशोधन को निरस्त करने के लिए कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई हैं. जस्टिस ए के सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने केंद्र से 6 हफ्ते के भीतर नोटिस का जवाब मांगा है. इन याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि संसद के दोनों सदनों ने ‘मनमाने तरीके' से कानून में संशोधन करने और इसके पहले के प्रावधानों को बहाल करने का फैसला लिया है, ताकि निर्दोष लोग अग्रिम जमानत के अधिकार का इस्तेमाल ही नहीं कर सके.
SC-ST एक्ट में कब क्या हुआ?
- 20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में इस एक्ट के गलत इस्तेमाल पर चिंता जताते हुए तत्काल गिरफ्तारी और आपराधिक मामला दर्ज करने पर रोक लगा दी थी.
- दलित संगठनों ने जमकर विरोध किया, 2 अप्रैल को भारत बंद बुलाया
- 6 अगस्त को लोकसभा में SC-ST एक्ट पर संशोधन विधेयक पारित हुआ
- 9 अगस्त को संसद ने विधेयक को मंजूरी दे दी, सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट गया
संशोधन विधेयक में SC-ST के खिलाफ अत्याचार के आरोपी व्यक्ति को अग्रिम जमानत की किसी भी संभावना को खत्म कर दिया गया. इसमें प्रावधान है कि आपराधिक मामला दर्ज करने के लिये कोई शुरूआती जांच की आवश्यकता नहीं है और इस कानून के तहत गिरफ्तारी के लिए किसी प्रकार की पहले से मंजूरी की जरूरत नहीं है.
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