सड़क सुरक्षा को लेकर द क्विंट के एक खास इवेंट में शामिल हुए सांसद शशि थरूर ने द क्विंट के एडिटर-इन-चीफ राघव बहल के साथ अपने विचार साझा किए. इस दौरान शशि थरूर ने भारत में सड़क हादसों से होने वाली मौतों पर चिंता जाहिर करते हुए सुरक्षा उपायों को लेकर कई अहम सुझाव दिए.
थरूर ने कहा कि सड़क हादसे में भारत में हर घंटे 17 लोगों की मौत हो रही है. इसमें मरने वाले लोगों में सबसे ज्यादा 5 से 29 उम्र वर्ग के हैं. 5 साल तक के बच्चों का सड़क हादसे में शिकार होना वाकई चौंकाने वाला है. इसकी वजह ज्यादातर छोटे बच्चों का फ्रंट सीट पर बैठने की खराब आदत हो सकती है.
“मैं एक सांसद भी हूं. सड़क हादसों पर मुझे चिंता है. सांसद के तौर पर मैं रोड सेफ्टी बिल पर पिछले कई सालों से आवाज उठाता रहा हूं. तीन साल पहले 2016 में 16 सांसदों ने मेरे साथ लिखित में प्रधानमंत्री को लेटर लिखा. 2017 में बिल लाया गया, लेकिन इसमें दूसरे मुद्दें शामिल कर दिए गए. जैसे- रोड ट्रांसपोर्ट लाइसेंसिंग, रजिस्ट्रेशन आदि. लेकिन रोड सेफ्टी को लेकर कोई इसमें कोई प्रावधान नहीं जोड़ा गया.”-शशि थरूर, सांसद
उन्होंने आगे कहा, "इसके बाद 2019 में मोटर व्हीकल बिल लाया गया. जिसमें हेलमेट, लाइसेंस, स्पीड, रजिस्ट्रेशन को लेकर कई तरह का जुर्माना लगाया गया. लेकिन इसमें भी रोड सेफ्टी को लेकर कोई प्रावधान नहीं किया गया, जो एक सीरियस मुद्दा है."
रोड सेफ्टी के लिए बने अलग अथॉरिटी
ऐसी कौन सी चीजें हैं, जो रोड सेफ्टी बिल में थी लेकिन मोटर व्हीकल एक्ट में नहीं है? इस सवाल के जवाब में शशि थरूर ने कहा- "ऐसी कई सारी चीजें हैं. हम चाहते थे कि सड़क पर पैदल चलने वालों, साइकिल से चलने वालों बच्चों और टू-व्हीलर चालकों की सुरक्षा के लिए सरकार रोड डिजाइन में कुछ बदलाव करें. देश के कई हिस्सों में सड़कों का डिजाइन बहुत खराब है, जो सड़क हादसों की मुख्य वजह है. हम मानते हैं कि ओवर स्पीड पर सजा दी जानी चाहिए. हेल्मेट और सीट बेल्ट न पहनने पर जुर्माना लगाना अच्छा आईडिया है. लेकिन हम चाहते थे कि सरकार में रोड सेफ्टी के लिए अलग एजेंसी, अलग सिस्टम होना चाहिए. अभी तक रोड सेफ्टी पर देश में कोई अथॉरिटी नहीं है."
लाइसेंस जारी करने के भ्रष्ट सिस्टम में बदलाव हो
बातचीत में शशि थरूर ने कहा, "हम ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के सिस्टम में भी बदलाव चाहते हैं. मेरे ख्याल से ड्राइविंग लाइसेंस जारी विभाग सरकार का सबसे भ्रष्ट सिस्टमों में से एक है. मैं किसी एक पार्टी को दोष नहीं दे रहा हूं. इस बात को खुद ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर नितिन गडकरी ने मानी है कि देश में 30 फीसदी ड्राइविंग लाइसेंस फर्जी है. इसका मतलब देश में जितने लोग ड्राइविंग कर रहे हैं, असल में उनमें से एक तिहाई लोगों को सड़क पर ड्राइविंग नहीं करनी चाहिए. ऐसे लोग रोड एक्सीडेंट में दूसरे लोगों को मार सकते हैं क्योंकि उन्होंने रिश्वत देकर लाइसेंस बनवाया है. ऐसे लोगों के लिए ज्यादा कड़ी सजा होनी चाहिए."
थरूर ने कहा कि हम एक केंद्रीय लाइसेंसिंग सिस्टम चाहते हैं, जिसमें वाहन चालकों की ओर से की गई गलतियों को ट्रैक किया जाए और उनका ब्यौरा रखा जाए. साथ ही सही तरीके से टेस्ट करने के बाद ही किसी को लाइसेंस जारी किया जाए.
नए कानूनों के अलावा भी हों प्रयास
शशि थरूर ने कहा कि मोटर व्हीकल एक्ट इस पूरी समस्या के समाधान का सिर्फ एक हिस्सा है. इसके आलावा भी कई तरह की कोशिशों की जरूरत है. इस दिशा में पब्लिक एजुकेशन के लगातार प्रयास होने चाहिए. लोगों को ये सिखाना चाहिए कि सड़क पर गाड़ी चलाते समय दूसरों के स्पेस का सम्मान करें. हर साल सड़क हादसों में जान गंवाने वाले लोगों की तादाद के मामले में हम चीन से भी आगे निकल गए हैं. सर्विस लेन में गाड़ी ले जाकर नियम तोड़ने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती. लोगों को लेन ड्राइविंग और ट्रैफिक सिग्नल का पालन करना सिखाना होगा. थरूर ने भारत में सड़क हादसों में होने वाली मौतों की ऊंची दर के लिए चार कारण गिनाए-
- ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने में भ्रष्टाचार
- गाड़ी चलाने के दौरान ड्राइवर की लापरवाहियां
- सड़कों की खराब स्थिति, खराब डिजाइन और घायलों की मदद के लिए लोगों का आगे न आना
- कार बनाने वाली कंपनियों का सुरक्षा मानकों से समझौता
थरूर ने कहा कि अगर इन चार पहलुओं में सुधार के लिए कड़े कदम उठाए जाएं और लोगों में शिक्षा के जरिए जागरूकता फैलाई जाए तो सड़क हादसों को काफी हद तक रोका जा सकता है.
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