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लड़की पर नहीं लगेगा गैंगस्टर एक्ट, चिन्मयानंद ने दी थी अर्जी

चिन्मयानंद ने रंगदारी मांगने के आरोपियों पर गैंगस्टर एक्ट लगाए जाने की मांग की थी

Published
भारत
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शाहजहांपुर की एक स्थानीय अदालत ने पूर्व केंद्रीय मंत्री चिन्मयानंद से रंगदारी मांगने वाली आरोपी लड़की पर गैंगस्टर एक्ट लगाए जाने की अर्जी खारिज कर दी है.

चिन्मयानंद की वकील पूजा सिंह ने सीजेएम अदालत में रंगदारी मांगने वाले आरोपियों पर गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई करने की मांग की थी. चिन्मयानंद की अर्जी पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ओमवीर सिंह ने उसे खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि ये उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है.

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मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ओमवीर सिंह ने निर्देश दिया कि इस अर्जी को संबंधित अदालत के समक्ष पेश किया जाए.

चिन्मयानंद की अर्जी में क्या लिखा था

चिन्मयानंद की सुप्रीम कोर्ट की वकील पूजा सिंह ने सीजेएम अदालत में लेटर लिखकर मांग की थी कि रंगदारी मांगने के आरोपियों पर गैंगस्टर एक्ट लगाया जाना चाहिए. उसमें ये अनुरोध भी किया गया है कि कोर्ट इसे गैंगस्टर एक्ट की सुनवाई के लिए स्पेशल कोर्ट को भेजे.

लेटर में कोर्ट को बताया गया कि चिन्मयानंद नौ अगस्त को अपने घर पर बैठे थे, तभी सचिन सेंगर नाम का एक आदमी उनके पास आया और उनसे कहा कि आपको बदनाम करने के उसके पास पूरे सबूत हैं, आप पांच करोड़ रुपए दो, नहीं तो आपके खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज करा दिया जाएगा.

चिन्मयानंद की ओर से भेजे गए लेटर पत्र में कहा गया है कि आरोपी संजय विक्रम सचिन और पीड़िता को रंगदारी मामले में एसआईटी ने दोषी पाया है जिन्हें जेल भी भेजा जा चुका है. उन्होंने एसआईटी के प्रेस नोट का हवाला देते हुए कहा कि उन चारों आरोपियों के अलावा अन्य लोग भी गिरोह बनाकर इस मामले में शामिल होकर क्राइम कर रहे हैं.

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पीड़िता लड़की की जमानत याचिका पर SIT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को रंगदारी के मामले में आरोपी शाहजहांपुर छात्रा की जमानत याचिका पर एसआईटी और चिन्मयानंद के वकीलों से अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा है. छात्रा की जमानत याचिका पर ये आदेश जस्टिस सिद्धार्थ ने पारित किया.

छात्रा के वकील ने दलील दी कि लड़की यौन शोषण की शिकार है और उसके खिलाफ लगाए गए सभी आरोप मनगढ़ंत हैं. हालांकि, लड़की की जमानत याचिका का राज्य सरकार और चिन्मयानंद के वकीलों ने इस आधार पर विरोध किया कि छात्रा मुख्य आरोपी है और उसके खिलाफ सबूत हैं. इसलिए जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए उन्हें कुछ वक्त दी जानी चाहिए.

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